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________________ १४०] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला . अन्नाणं खवेइ न य संकिलिस्लइ ॥२४॥ एगग्गमणसंनिवेसणयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? ए० चित्तनिरोहं करेइ ।।२५॥ संजमए भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? स० अणराहयत्तं अणयइ ॥२६॥ ... तवेणं भन्ते ! जीके किं जणयह ? तवेगां वोदाणं जणयह ॥२७॥ ... वोदाणेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? वो० अकिरियंजणयइ । अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिझइ, बुज्झइ मुञ्चइ, परिनिव्वायइ, सव्वदुक्खाण मन्तं करेइ ॥२८॥ सुहसाएणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? सु० अणुस्सुयत्तं जणयइ । अणुस्सुयाए र जीवे अणुकम्पए अणुब्भडे विगयसोगे चरित्तमोहणिजे कम्मं खवेइ ॥२६॥ - अप्पडिबद्धयाए र भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? अनिस्संगत्तं जणयइ । निस्संगत्तेणं जीवे एगे एगग्गचित्ते दिया य रात्रो य असजमाणे अप्पडिबद्धे यावि विहर इ ॥३०॥ ..विवित्तसयणासणयाए भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? वि० चरित्तगुत्तिं जणयइ । चरित्तगुत्ते य णं जीवे विवित्ताहारे दढचरित्ते एगन्तरए मोक्खभावपडिवन्ने अट्टविहकम्मगंठिं निजरेइ ॥३१॥ विनियट्टणयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? वि० पावकम्माणं अकरणयाए अभुटेइ। पुधबद्धाण य निजरणयाए
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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