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________________ ८४] [ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला सुदुल्लहं लहिउं बोहिलाभं, विहरेज पच्छा य जहा सुहं तु ||१|| सेज्जा दढा पाउर मि अस्थि, उपज्जई भो तहेव पाउं । जाणामि जं वट्टइ आउसु त्ति, किं नाम काह। मि सुए भन्ते ! ||२|| जे केई पव्वइए, निद्दासीले पगामसो | भोच्च पिच्चा सुहं सुवइ, पावसमणि त्ति वुच्चइ ||३|| श्रयरियउवज्झाएहि, सुयं विषयं च गाहिए । ते चैव खिंसई बाले, पावसमणि त्ति वुच्चइ ||४|| आयरियउवज्झायाणं, सम्मं न पडितप डिपूयप थद्धे पावसमणि त्ति वृच्चइ ॥५॥ सम्मद्दमाणे पाणाणि, बीयाणि हरियाणि य । असंजए संजयमन्नमाणे, पावसमणि त्ति वुश्च्चइ ||६|| संथारं फलगं पीढं, निसेजं पायकम्बलं । अप्पमजियमारुहइ, पावसमणि त्ति कुच्चइ ॥७॥ दवदवस्स चरई, पमत्ते य अभिक्खणं । उल्लंघणेय चण्डे य, पावसमणि त्ति बुच्चइ ||८|| पडिलेहेइ पमत्ते, अवउज्झइ पायकम्बलं । पडिले हाणा उत्ते, पावसमणि त्ति वुच्चइ || || पडिले हेइ पत्ते, से किंचि हु निसामिया । गुरुं परिभावर निश्च, पावसमणि त्ति वुश्च्चइ ॥ १०॥ बहुमाई पमुहरी, थद्धे लुद्धे श्रणिग्गहे | संविभागी 'श्रचियत्ते, पावसमणि त्ति वुच्च ॥ ११ ॥ १. वियत्त ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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