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निवेदन । **** ******* वर्तमान युगमें ऐसा कौन प्राणी होगा जो चतुर्थकालीन २३ वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ जैसी महान् आत्मासे अपरिचित हो। उन्हीं भगवानका यह ऐतिहासिक चरित्र आज आप लोगोंके हाथमें है। इस ग्रन्थमें कुल २६ अध्याय हैं, जिनमेंके १२ अध्यायका यह प्रथम भाग 1 दिगम्बर जैनके २१ वें वर्षके ग्राहकोंको उपहारमें दिया । जारहा है। बाकीके १४ -अध्यायका दूसरा भाम (उत्तराई)ी भी इससे बड़ा इसी प्रकार आगामी वर्षके ग्राहकोंको भेट दिया जायगा । इस प्रकार दो वर्ष में दोवारमें उनके पास ( जो दि० जैनके ग्राहक हैं ) पूर्ण ग्रन्थ पहुंच जायगा । लेकिन विक्रीके लिए पूरा ग्रन्थ ही प्रगट होगा ।
लेखककी इच्छा यही है कि पुरा ग्रन्थ प्रकट होनेसे व ॥ उसके आद्योपान्त पढ़नेसे लोग नो अनुभव भगवान पार्श्वनाथके विषयमें प्राप्त करेंगे वह अनुवि आधे भागसे या ( अलग२ । भागोंसे ) मिलना मुश्किल है अतः ऐसा किया गया है ।
। निवेदकमूलचन्द किसनदास कापडिया, मूरत
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