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________________ 174 नायाधम्मकहायो [XVI.120समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ । नो खलु अम्हं कप्पइ बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा छटुंछट्टेणं जाव विहरित्तए । कप्पइ णं अम्हं अंवोउवस्सयस्स वपरिक्खिचस्स संघाडिबद्धियाए णं समतलपईयाए आयावेचए । तए णं सा सूमालिया गोवालियाए एयमद्वं नो सहहइ नो पचियइ नो रोएई एयमहूं असदहमाणी ३ सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछटेणं जाव विहरइ । (119) तत्थ णं चंपाए ललिया नाम गोही परिवसइ नरवइदिन्नपंयारा अम्मापिइनिययनिप्पिवासा वेसविहारकयनिकेया नाणाविहअविणयप्पहाणा अड्डा जाव अपरिभूया । तत्थ णं चंपाए देवदत्ता नाम गणिया होत्था सूमाला जहा अंडनाए । वए णं तीसे ललियाए गोहीए अन्नया कयाइ पंच गोहिल्लगपुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्नाणस्स उन्नाणसिरिं पञ्चणुब्भवमाणा विहरति । तत्थ णं एगे गोहिल्लगपुरिसे देवदत्तं गाणयं उच्छंगे धरेइ एगे पिट्टओ आयवचं धरेइ एगे पुप्फपूरगं रएइ एगे पाए रएइ एगे चामरुक्खेवं करेइ । तए णं सा सूमालिया अजा देवदचं गणियं तेहिं पंचहिं गोहिल्लपुरिसेहिं सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणीं पासइ २ इमेयारूवे संकप्पे समुप्पजित्था - अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं कम्माणं जाव विहरइ । तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तवनियमबंभचेरवासस्स कल्लाणे फलविचिविसेसे अस्थि तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाइं उरालाई जाव विहरिज्जामि त्तिकद् नियाणं करेइ २ आयावणभूमीएं पच्चोरुभैइ।। (120) तए णं सा सूमालिया अजा सरीरबाउंसा जाया यावि होत्था अभिक्खणं २ हत्थे धोवेइ अभिक्खणं २ पाए धोवेइ सीसं धोवेइ मुहं धोवेइ थणतराई धोवेइ कक्खंतराई धोवेइ गुज्झंवराई घोवेइ जत्थ २ णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएइ तत्थ वि यणं पुत्वामेव उदएणं अब्भुक्खेत्ता तओ पच्छा ठाणं वा ३ चेएइ । तए णं ताओ गोवालियाओ अजाओ सूमालियं अजं एवं वयासी-एवं खलु अज्जे ! अम्हे
SR No.022584
Book TitleNayadhammakahao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinshasan Aradhana Trust
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2002
Total Pages260
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size20 MB
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