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हम जैसे अल्पज्ञ, कुछ अधिक लिखने की स्थिति में नहीं हैं । प्रस्तुत प्रणयन को सुविज्ञ पाठकों के लिए प्रकाशित करते हुए हम आपने आपको कृतार्थ मानते हैं तथा पूर्ण श्रद्धा भक्ति एवं समर्पण भाव के साथ, प्रस्तुत ग्रन्थरत्न को एवं श्री गुरुचरणों में भाव - वंदना करते हैं।
प. पू. आचार्यदेव श्री जिनोत्तम सूरीश्वर जी म. सा. के प्रति भी कृतज्ञ हैं क्योंकि उनके मार्गदर्शन, संपादन बिना शायद इस महान कार्य का प्रकाशन सम्भव नहीं होता ।
इस पुस्तक की सुन्दर साज-सज्जा, मुद्रण आदि में 'श्री दिवाकर प्रकाशन' आगरा के श्री संजय सुराना ने भी अपनी कलात्मक दृष्टि का परिचय दिया है। एतदर्थ उन्हें भी धन्यवाद ।
-प्रकाशक
श्री सुशील साहित्य प्रकाशन समिति, जोधपुर
ट्रस्ट मंडल
संघवी श्री गुणदयालचंद जी भंडारी, शा. गणेशमल हस्तिमल जी मुठलिया, संघवी प्रकाशचन्द्र गेनमल जी मरडीया,
शा. नैनमल जी विनयचंद्र जी सुराणा,
शा. मांगीलाल जी तातेड, शा. देवराज जी दीपचंद जी राठौड़,
शा. रमणीकलाल मिलापचंद जी,
शा. गनपतराज जी चौपड़ा,
शा. सुखपालचंद जी भंडारी,
जोधपुर (राज.)
तखतगढ़ (मुम्बई)
जावाल (चेन्नई)
सिरोही (मुम्बई)
मेड़ता सिटी (चेन्नई) जवाली (पाली)
नोवी (सूरत)
पचपदरा (मुम्बई)
जोधपुर (राज.)