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________________ ... तवपगं. थलिसेणाखन्धारे सत्थे संवट्टकोट्टे य ॥१७॥ वामेसु व रबासु व घरेसु वा एवमित्तियं खेतं । कप्पक्ष उ एवमाई एवं खेत्तेण ऊ भवे ॥ १८ ॥ पेमा य अद्धपेमा गोमुत्तिपयङ्गवीदिया चेव । सम्बुकावट्टाययगन्तुंपञ्चागया छट्ठा ॥ १९॥ दिवसस्स पोरुसीणं चउण्हं पिउ जत्तिओ नवे कालो। एवं चरमाणो खलु कालोमाणं मुणेयवं ॥ २० ॥ अहवा तश्याए पोरिसीए ऊणाइ' घासमेसन्तो। चउत्नागूणाए वा एवं कालेण ऊ भवे ॥ २१ ॥ इत्थी वा पुरिसो वा अलंकियोवानलंकियो वा वि। अन्नयरवयत्थो वा अन्नयरेणं व वत्थेणं ॥ २२ ॥ अन्नेण विसेसेणं वमेणं नावमणुमुयन्ते उ । एवं चरमाणो खलु जावोमाणं मुणेयत्वं ॥ २३ ॥ दवे खेत्ते काले जावम्मि य याहिया उजे नावा । एएहि ओमचरयो पवचरओ भवे भिक्खू ॥२४॥ अट्टविहगोयरगं तु तहा सत्तेव एसणा। अभिग्गहा य जे अन्ने जिक्खायरियमाहिया ॥२५॥ खीरदहिसपिमाई पणीयं पाणजोयणं । परिवाणं रसाणं तु नणियं रसविवजणं ।। २६ ।। ठाणा वीरासणाईया जीवस्त उ सुहावहा । उग्गा जहा धरिजन्ति कायकिलेसं तमाहियं ॥२७॥ एगन्तमणावाए इत्थीपसुविवजिए। १ A. (आ.) ऊणाए. २ A. (आ.) अणालंकिओ. ३ A. (आ.) अन्नत for अनय ( ने बदले ).
SR No.022575
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivraj Ghelabhai Doshi
PublisherJivraj Ghelabhai Doshi
Publication Year1925
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
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