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उत्तराध्ययनसूत्रम् सो तवो दुविहो वुत्तो बाहिरन्भिन्तरो तहा। बाहिरो छन्विहो वुत्तो एवमन्भिन्तरो तवो॥७॥ अणसणमूणोयरिया भिक्खायरिया य रसपरिचाओ। कायकिलेसो संलीणया य बज्झो तवो होइ॥८॥ इत्तरिय मरणकाला य अणसणा दुविहा भवे। इत्तरिय सावकंखा निरवकंखा उ बिइजिया ॥९॥ जो सो इत्तरियतवो सो समासेण छविहो।' सेढितवो पयरतवो घणो य तह होइ वग्गो य ॥१०॥ तत्तो य वग्गवग्गो पंचमो छ?ओ पइण्णतवो। मणइच्छियचित्तत्थो नायवो होइ इत्तरिओ॥११॥ जा सा अणसणा मरणे दुविहा सा वियाहिया। सवियारमवियारा कायचिटुं पई भवे ॥१२॥ अहवा सपरिकम्मा अपरिकम्मा य आहिया। नीहारिमणीहारी आहारच्छेओ दोसु वि॥१३॥ ओमोयरणं पंचहा समासेण वियाहियं । स्वओ खेत्तकालेणं भावेणं पज्जवेहि य॥१४॥ जो जस्स उ आहारो तत्तो ओमं तु जो करे। जहन्नेणेगसित्थाई एवं दवेण ऊ भवे ॥१५॥ गामे नगरे तह रायहाणिनिगमे य आगरे पल्ली। खेडे कब्बडदोणमुहपट्टणमडम्बसंबाहे ॥१६॥ आसमपए विहारे सन्निवेसे समायघोसे य। थलिसेणाखन्धारे सत्थे संवट्टकोढे य॥१७॥ वाडेसु व रच्छासु व घरेसु वा एवमित्तियं खेत्तं। कप्पइ उ एवमाई एवं खेत्तेण ऊ भवे ॥१८॥ पेडा य अद्धपेडा गोमुत्तिपयंगवीहिया चेव। सम्बुक्कावट्टाऽऽययगन्तुंपञ्चागया छट्ठा॥१९॥ दिवसस्स पोरुसीणं चउण्हं पि उ जत्तिओ भवे कालो। एवं चरमाणो खलु कालोमाणं मुणेयव्वं ॥२०॥ अहवा तइयाए पोरिसीए ऊणाइ घासमेसन्तो। चउभागूणाए वा एवं कालेण ऊ भवे ॥२१॥