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केसिगोयमिज्जं
पगप्पा अजिए सत्तू कसाया इन्दियाणि य । ते जिणिन्तु जहानायं विहरामि अहं मुणी ॥ ३८ ॥ साहु गोयम पन्ना ते छिनो मे संसओ इमो । अम्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ३९ ॥ दीसन्ति बहवे लोए पासबद्धा सरीरिणो । मुक्कपासो लहुब्भूओ कहं विहरसी मुणी ॥ ४० ॥ ते पासे सव्वसो छित्ता निहन्तॄण उवायओ । सुक्कपासो लहुब्भूओ विहरामि अहं मुणी ॥ ४१ ॥ पासा य इइ के वृत्ता केसी गोयममब्बवी ।
सिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बवी ॥ ४२ ॥ रागद्दोसादओ तिव्वा नेहपासा भयंकरा । ते छिन्दित्ता जहानायं विहरामि जहक्कमं ॥ ४३ ॥
साहु गोयम पना ते छिन्नो मे संसओ इमो । अन्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ४४ ॥
अन्तोहिययसंभ्रूया लया चिट्ठइ गोयमा । फलेइ विसभक्खीणि सा उ उद्धरिया कहूं ॥ ४५ ॥ तं लयं सव्वसो छित्ता उद्धरित समूलियं । विहरामि जहानायं मुक्को मि विसभक्खणा ॥ ४६ ॥ लया य इइ का वृत्ता केसी गोयममन्त्रवी । केसिमेवं बुवन्तं तु गोयमो इणमब्ववी ॥ ४७ ॥ भवतण्हा लया वृत्ता भीमा भीमफलोदया । तमुच्छिन्तु जहानायं विहरामि जहासुहं ॥ ४८ ॥ साहु गोयम पना ते छिन्नो मे संसओ इमो । अम्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ४९ ॥ संपज्जालिया घोरा अग्गी चिट्ठर गोयमा । जे डहन्ति सरित्था कहं विज्झाविया तुमे ॥ ५० ॥ महामेहप्पसूयाओ गिज्झ वारि जलुत्तमं । सिंचामि सययं देहं सित्ता नो व डहन्ति मे ॥ ५१ ॥ अग्गी य इइ के कुत्ता केसी गोयममब्बवी । केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमन्दवी ॥ ५२ ॥
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