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________________ ३० उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ९) तो वंदिऊण पाए, चकंकुसलक्खणे मुणिवरस्स । आगासेऽणुप्पइओ, ललियचल कुंडलतिरीडी ॥ ६० ॥ नमी नमेइ अप्पाणं, सक्खं सक्केण चाइओ । चइऊण गेहूं च वेदेही, सामण्णे पज्जुवट्टिओ ॥ ६१ ॥ एवं करेति संबुद्धा, पंडिया पवियक्खणा । विणियति भोगेसु, जहां से नमी रायरिसि ॥ ६२ ॥ त्ति बेमि ॥ इति नमिपव्वज्जा णाम नवमं अज्झयणं समत्तं ॥ ९ ॥ ॥ अह दुमपत्य दसमं अज्झयणं ॥ दुमपत्तए पंडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम मा पमाय ॥ १ ॥ कुसग्गे जह ओस बिंदुए, थावं चिठ्ठइ लंबमाणए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम मा पमायए || २ || इइ इत्तरियम्मि आउए, जोवियए बहुपच्चवायए । विहणाहि रयं पुरे कडं, समयं गोयम मा पमायए || ३ || दुल्ल खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सव्वपाणिण । गाढा य विवाग कम्मुणा, समयं गोयम मा पमायए ||४|| पुढविकायम गओ उक्कोस जीवो उ संबसे । काल संखाईयं; समय गोयम मा पमायए ।। ५ ।।
SR No.022569
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
PublisherPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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