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________________ 159 -Xv.110] नयाधमहामो रित्विमिनसमिद्धा कणओ । तत्थ णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नामं राणा होत्या बण्णओ । तए णं तस्स घणस्स सस्थवाहस्स अनया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयांस इमेयारवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था - सेयं सालु मम विपुलं पणियमंडमायाए अहिच्छंत्तं नयरिं वाणिज्जाए गमित्तए। एवं संपेहेइ २ गणिमं च ४ चउविहं भंडं गेण्हइ सगडीसागडं सन्नइ २ सगडीसागडं मरेइ २ कोढुंबियपुरिसे सदावेइ २ एवं बयासी- गच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया! घंपाए नयरीए सिंघाडग नाव पहेसु एवं वयहएवं खलु देवाणुप्पिया ! धणे सत्यवाहे विपुलं पवियं आदाय इच्छइ अहिच्छत्तं नपरि वाणिनाए गमित्तए । तं जो पं देवाणुप्पिया! घरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छुडे वा पंडरगे का गोयमे वा गोवत्तिए वा गिहिम्मचिंतए वा अविरुद्धविरुद्धवुड्डसाक्मरतपडनिग्गंथप्पभिइपासंडत्थे वा गिहत्थे का षणेणं साद्धं अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ तस्स णं धणे अच्छत्सगस्स छत्तगं दलाइ अणुवाहणस्स ओवाहणाओ दलबह अकुंडियरस कुंडियं दलबह अपत्यवणरस पत्थयणं दलयइ अपक्खेषगस्स पक्खे दलयइ अंतरा वि य से पडियस्स वा भगलुग्गस्स साहेज दलयइ सुहंसुहेण य अहिच्छत्तं संपावेइ तिकटु दोधपि तञ्चपि घोसणं घोसेह २ मम एयमाणातियं पञ्चप्पिणह । तएणं ते कोडुंबियपुरिसा जाय एवं वयासी- हंदि सुणंतु भगवंतो चंपानयरीवत्थव्वा बहवे चरमा जाब पच्चप्पिणंति । तए णं देसि कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयमटुं सोचा चंपाए नयरीए बहवे चरगा का गिहत्या य जेणेव धणे सत्यवाहे सेणेव उवागच्छसि । तए णं धणे सत्यवाहे तेर्सि चरगाण य जाय गित्वाण य अच्छत्सगस्स छत्तं दलवइ जाव पल्क्यणं दलाइमच्छह गं तुम्मे देवाणुपिया! चंपाए नयरीए बहिया अग्गुजाणसि ममं पडियालेमामा बिहह । तर ते चरगा २० धणं सस्थवाहेनं एवं वुला समाया माहिति । तए णं धणे सत्यवाहे सोहणास विहिकरणनक्ससि विसं असफ४ उक्क्खडावे२ मिसनाइ भानवेश २ मोषणं
SR No.022565
Book TitleNayadhamma Kahao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherN V Vaidya
Publication Year1940
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size20 MB
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