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________________ [ २१ वर्तमान समय के विज्ञानी (वैज्ञानिक) जो आगे बढ़े हैं यह उनकी रसायन और संशोधन का परिणाम है। अभी भी वे जैसे जसे आगे बढ़ते जायेंगे, वैसे वैसे उनको कुछ न कुछ नवीनता 'प्राप्त होगी। क्यों कि वस्तु मात्र ही अनेक धर्मात्मक है। ससार में कोई भी चीज़ अशक्य नहीं है । 'Man can do whatever he likes,” नेपोलियन के शब्दों में कहा जाय तो Impossible word is not found in the Dictionary of the word " जगदीश चन्द्र बसु ने जब बनस्पति में जीव का होना सिद्ध किया, तब उस विषय के अज्ञात देशवासियों को बहुत आश्चर्य हुआ। जैन दर्शन में तो छोटे बच्चों को मूल से ही यह सिखलाया जाता है कि पृथ्वो, पानी, वनस्पति, वायु और अग्नि ये एकेन्द्रीय जीव हैं। उनको स्थावर जीव कहते हैं। तथा दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रीय, चतुर्थेन्द्रीय और पंच इन्द्रोय को त्रस ( जो चलने फिरने की क्रिया करें) कहते हैं। इस विषय का सूक्ष्म से सूक्ष्म वर्णन 'जैन जीवन शास्त्र" में दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि डा० जगदीशचन्द्र बोस एक प्रखर वैज्ञानिक थे । उन्होंने (! ractical) रचनात्मक रूप से सिद्ध कर दिखाया, वह उनके अद्भुत वैज्ञानिक ज्ञान का प्रमाण है। __ स्वर्ण, चांदी आदि वैसे देखा जाय तो आभूषण बनाने के कार्य में आते हैं,किन्तु वैद्य लोग जब उस पर रासायनिक प्रयोग करके, उसका भस्म करते हैं तब उससे हजारों दर्द दूर होते हैं तथा मनुष्य को शक्ति प्राप्त होती है। पानी स्वभाव से फीका है, किन्तु उसमें जब शक्कर डाली जाय तो मीठा होता है। नीबू मिलाया जाय तो खट्टा लगता है, अफीम डाला जाय तो कटु हो जाता है। पानी को पीली बोतन में डाला जाय तो पीला। लाल बोतल में डाला जाय तो लाल दिखेगा। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु
SR No.022554
Book TitleSyadvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
PublisherShankarlal Dahyabhai Kapadia
Publication Year1955
Total Pages108
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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