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१०।१ ] श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
[ ९७ * प्रश्नोत्तर * प्रश्न - सिद्धों के कितने भेद हैं? उत्तर - जैनागम मान्यता के अनुसार सिद्धों के पन्द्रह भेद हैं
१. तीर्थसिद्ध २. अतीर्थ सिद्ध ३. तीर्थङ्ककर ४. अतीर्थङ्कर सिद्ध ५. स्वयं बुद्ध सिद्ध ६. प्रत्येक बुद्ध सिद्ध ७. बुद्धबोधित सिद्ध ८. स्त्रीलिङ्ग सिद्ध ९. पुरुषलिङ्ग सिद्ध १०. नपुंसकलिङ्ग सिद्ध ११. स्वलिङ्ग सिद्ध १२. अन्यलिङ्ग सिद्ध १३. गृहलिङ्ग
सिद्ध १४. एक सिद्ध १५. अनेक सिद्ध प्रश्न - तीर्थकर सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - तीर्थङ्कर के संघ संस्थापन करने के अथवा प्रथम गणधर के उत्पन्न होने के बाद, जो सिद्ध
हुए है, उन्हें तीर्थसिद्ध कहते हैं। जैसे- प्रथम गणधर ऋषभसेन और गौतमस्वामी आदि। प्रश्न - अतीर्थ सिद्ध किसे कहते है? उत्तर - तीर्थ (संघ) के उत्पन्न न होने पर अथवा बीच में तीर्थ का विच्छेद होने पर जो सिद्ध हुए
हैं उन्हें अतीर्थ सिद्ध कहते हैं जैसे- मरुदेवी। प्रश्न - तीर्थकर सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - जो तीर्थङ्गर होकर अर्थात् साधु-साध्वी श्रावक, श्राविका रूपी चार तीर्थों की स्थापना
करके सिद्ध हुए हैं, उन्हें तीर्थंकर सिद्ध कहते हैं। जैसे-चौबीस तीर्थंकर भगवान्। प्रश्न - अतीर्थङ्कर सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - जो सामान्य केवली होकर सिद्ध हुए है, उन्हें अतीर्थङ्कर सिद्ध कहते हैं। जैसे गौतम स्वामी। प्रश्न - स्वयंबुद्ध सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - जो स्वयं जाति स्मरणादि ज्ञान से तत्त्वज्ञान कर सिद्ध हुए हैं उन्हे स्वयं बुद्ध सिद्ध कहते
हैं। जैसे-मृगा पुत्र आदि। प्रश्न - प्रत्येक बुद्ध सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - जो बाह्य निमित्त वृषभादि को देखकर बोध प्राप्त करके सिद्ध हुए हैं, उन्हें प्रत्येक बुद्ध
सिद्ध कहते हैं। जैसे करकण्डू आदि। प्रश्न - बुद्धबोधित सिद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - जो धर्माचार्यों से बोध प्राप्त करके सिद्ध हुए हैं, उन्हें बुद्धबोधित सिद्ध कहते हैं। जैसे
मेघकुमार आदि।