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________________ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे [ १०१ सबके थोड़े लवण समुद्र में से, उसमें कालोदधि में से संख्यातगुणा और उससे जम्बूदीप में से संख्यातगुणा, उससे घातकी खण्ड में से संख्यातगुणाा और उससे जंबूदीप में से संख्यातगुणा उससे पुष्करार्धद्विप में से संख्यातगुणा मोक्ष में गए हुए हैं। काल तीन प्रकार के होते हैं१. अवसर्पिणी २. उत्सर्पिणी तथा ३. अनवसर्पिणी उत्सर्पिणी। यहाँ सिद्ध के व्यज्जित-अव्यजित भेद का विचार भी करना होता है। पूर्वभाव की अपेक्षा से सबसे कम उत्सर्पिणी सिद्ध, उससे विशेषाधिक अवसर्पिणी सिद्ध और उससे अवसर्पिणी उत्सर्पिणी सिद्ध संख्यातगुणा होते है- ऐसा ध्यातव्य है। वर्तमान भाव की अपेक्षा से कालाभाव में सिद्ध होते है क्योंकि अल्प-बहुत्व नहीं है। गति वर्तमान काल की अपेक्षा से सिद्धगति में सिद्ध होते है क्योंकि अल्प-बहुत्व नहीं हैं। अन्तर विना पूर्वभाव की अपेक्षा की विवक्षा से विर्तंच गति में से मनुष्य गति में आकर मोक्ष में जाने वाले सबसे अल्प है। इसकी अपेक्षा मनुष्य से पुन: मनुष्य जन्म प्राप्त करके मोक्ष में जाने वाले संख्यात गुण हैं। नरकगति से मनुष्य गति में आकर मोक्ष जाने वाले संख्यातगुण हैं और उससे देवगति में से आकर मोक्ष जाने वाले संख्यात गुणा हैं। लिंग - वर्तमान भाव की अपेक्षा से अवेदी सिद्ध होता है क्योंकि अल्प बहुत्व नहीं है। पूर्वभाव की अपेक्षा से नपुंसक लिङ्गी सिद्ध सबसे अल्प हैं। उससे स्त्रीलिङ्ग संख्यातगुणा है और उससे पुल्लिंग सिद्ध संख्यात गुणा हैं। तीर्थ - तीर्थसिद्ध सबसे अल्प, तीर्थकर,उससे संख्यातगुण अजिन सिद्ध ज्ञातव्य है। तीर्थ में सिद्ध कम हुए हैं-नपुंसक, उससे स्त्रीसंख्यात गुणा और उसकी अपेक्षा पुरुष संख्यात गुण होते हैं। चारित्र - वर्तमान भाव की अपेक्षा से सिद्ध तो चारित्री नो अचारित्री क्योंकि अल्प-बहत्व नहीं हैं। पूर्वभाव की अपेक्षा से, सामान्यत पाँचों चारित्र वाले सिद्ध सबसे अल्प हैं। उससे चार चारित्र वाले संख्यात गुण,उससे तीन चारित्र वाले संख्यातगुण समझने चाहिए। विशेषत:- सबसे अल्प सामायिक आदिवाले, उससे सामायिक के अलावा चार वाले संख्यातगुणा, उससे विशुद्धिवाले, चार संख्यातगुण, उससे छेदोप + स्थापनीय सिवाय चार वाले संख्यात गुण। उससे सूक्ष्म संपराय- यथाख्यात-ये तीन चारित्र वाले सिद्ध संख्यात गुण और उससे छेदोपस्थापनीय, सूक्ष्मसंपराय यथाख्यात-ये तीन वाले संख्यात गुणा समझने चाहिए। प्रत्येक बुद्ध बोधित-प्रत्येक बुद्ध सिद्ध सबसे अल्प, उससे बुद्धबोधित नपुंसकसिद्ध संख्यातगुण और स्त्रीसिद्ध संख्या गुण और पुरुषासिद्ध भी संख्यात गुण हैं - ऐसा समझना चाहिए।
SR No.022536
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2008
Total Pages116
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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