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( २ )
[ ३ ]
भव पीड़ा प्रति गहन
जिन ! तुम्हीं सुनो
से मेरी
से
[ ४ ]
महिमा है
अनन्त
दर्शन ज्ञान चारित्र
जिनवर
सुनो
विनती
तुम से मेरी
भव
भव
से
[ ५ ]
उद्धारक
जिनवर विनती
भव भव
-
-
तुम
भव -
·
भवनद जल
पार करो प्रभु जिनवर !
विनती तुम से
में डूबे
पार्श्व !
भव
सुनो
से
[ ६ ]
'सुशील' जपे नित नाम पार्श्व बिना अब कौन
जिनवर
सुनो
विनती तुम से मेरी
भव भव
मेरी
मम
श्रापदा " सर्वदा ।
पुकार,
प्रभुवर ।
निस्तार ॥
तुम्हारी
,,
सुधारी ।
पुकार,
प्रभुवर ।
निस्तार ।।
नैया
,
खिवैया |
पुकार
"
प्रभुवर ।
निस्तार ॥
तुम्हारा,
सहारा ।
पुकार,
प्रभुवर ।
निस्तार ॥
[ ७ ]
चरण - शरण में लेना जिनवर
करना
जिनवर
सुनो
विनती तुम से मेरी
भव भव
उद्धार ।
पुकार,
प्रभुवर |
निस्तार ॥