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________________ ( ४ ) XKAR * जैनधर्म है मेरा * [१] सम्यग् दर्शन - ज्ञान - चरित का विहँसे जहाँ सवेरा, 'जैनधर्म' है मेरा वह 'जैनधर्म' है मेरा वह सत्य अहिंसा दयाधर्म का , नित्य जहाँ पर डेरा , वह 'जनधर्म' है मेरा , वह 'जैनधर्म' - है... मेरा ॥ अतुलनीय है शक्ति अहिंसा , दयाधर्म है। प्रतिभारी , गुणिजन गाते जिसकी गरिमा , नित नूतनता है न्यारी ॥ वन्दन अभिनन्दन मैं करता , बनकर . जिसका चेरा , वह 'जैनधर्म' है मेरा , वह 'जनधर्म' है मेरा ॥ [ ३] पल - पल जपते भक्त सुहाने , वीर जिनेश्वर माला , कष्ट मिठे पल भर में उनका , जिनका 'जिन' रखवाला । दो ऐसा वरदान 'जिनेश्वर' ! मि जनम का फेरा , वह 'जनधर्म' है 'मेरावह 'जैनधर्म' है मेरा ॥
SR No.022535
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2001
Total Pages268
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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