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________________ ( ५) [३] प्रज्ञान तिमिर के नाशक तुम , शिव सत्य और सुन्दर स्वरूप । मैं मटका भटका हूँ निशदिन , दुःख दर्द भरित यह भव विरूप ॥ तारो तारो हे नागेश्वर ! तव चरणों में नित बलिहारी । हे नागेश्वर ! जनहितकारी , हे पार्श्व प्रभो! मंगलकारी ॥ मैं तो मज्ञानी हूँ प्रभुवर ! प्रज्ञान तिमिर मम दूर करो। प्रभु गुण - गौरव का गान करूं , मति विभ्रम मेरा दूर करो । मन में शुभ भक्ति भरो प्यारी , तव चरणों में नित बलिहारी । हे नागेश्वर ! जनहितकारी , हे पार्श्वप्रभो ! मंगलकारी ॥ जग-वैभव कीत्ति न मैं चाहूँ, जिनभक्ति - शक्ति अनुरागी हूँ। भटकू ना लेश कभी पथ से , सत्पथ का नित अनुरागी हूँ । प्रत एव सुशीलसूरीश यहीं , मुनियुत तव चरणों में नित बलिहारी । हे नागेश्वर ! जनहितकारी , हे पार्श्वप्रभो! मंगलकारी ।।
SR No.022535
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2001
Total Pages268
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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