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________________ * सामायिक-शिक्षाष्टक सामायिक संसार में, अमित अनुप विधान । कर्म-विशोधन के लिए, है अचूक वरदान ।। १ ।। मानव ! ममता छोड़ के, बनता है निष्काम । सामायिक से नित्य ही, जग-मग प्रातमराम ।। २ ।। मद-मोहात्मक जाल में, फंसे न कोई जीव । सामायिक साधे यदि, सुदृढ़ हो सुख नींव ।। ३ ॥ सामायिक तो विश्वहित, विशद विकस्वर रूप । नव-नव ऊर्जस्विल विधा, उपजे नित्य अनूप ॥ ४ ॥ मन-वच-काया से करो, निशदिन सम व्यवहार । कुटिल कुटिलता त्याग के, चमकानो प्राचार ।। ५ ॥ मागम-निगम बखानते, सामायिक संसिद्धि । अगम अगोचर की छटा, दिखे मिले सम्बुद्धि ।। ६ ।। राग-द्वष ही शत्रु हैं, और शत्रु नहीं अन्य । सामायिक समतामयी, इन्हें मिटाती धन्य ।। ७ ॥ सामायिक सब काल में, रहती है जयवन्त । 'सूरि सुशील' सुसाधिये, बनिये बहुगुणवन्त ।। ८ ।।
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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