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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
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६।२६
(३) भोगान्तराय-चाकर-नौकर इत्यादिक को समयसर खाना न देना, या समयसर खा न सके ऐसे कार्य बताना इत्यादि कारणों से दूसरे के भोग में अन्तराय करने से भोगान्तराय कर्म का बन्ध होता है।
(४) उपभोगान्तराय-परस्त्री का अपहरण करना तथा क्लेश-कंकास कराना इत्यादि कारणों से स्त्री आदि के उपभोग में विघ्न करने से उपभोगान्तराय कर्म का बन्ध होता है ।
(५) वीर्यातराय-अन्य-दूसरे की शक्ति का विनाश करना, धार्मिक कार्यों में शक्ति के अनुसार प्रवृत्ति नहीं करनी, किसी के तप इत्यादि के उत्साह को निरुत्साहित करना, तथा अन्य के तप आदि में अन्तराय करना इत्यादि कारणों से अन्तराय कर्म का बन्ध होता है ।
प्रत्येक मूल कर्म के साम्परायिक प्रास्रव, जो सूत्र ११ से २६ तक भिन्न-भिन्न रूप से कहे गए हैं, वे तो उपलक्षण मात्र हैं। इसके सिवाय अन्य और भी बहुत से प्रास्रव हैं, जिनका निर्देश यहाँ नहीं किया है। जैसे-आलस्य, प्रमाद, मिथ्या उपदेशादि ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय के तथा वध, बन्धन और ताड़नादि अशुभ प्रयोग असातावेदनीय इत्यादि प्रत्येक कर्म के और भी प्रास्रव हैं। * प्रश्न-इन सूत्रों में प्रत्येक मूलप्रकृति के जो पृथक् रूप से प्रास्रव कहे गये हैं, उन ज्ञान
प्रदोष इत्यादि प्रास्रव में मात्र अपने-अपने ज्ञानावरणीयादि कर्मों का बन्ध होता है कि एक ज्ञानप्रदोष आस्रव से ज्ञानावरणीय कर्म के उपरान्त अन्य समस्त कर्मों का भी बन्ध होता है ? यदि एक कर्म-प्रकृति के प्रास्रव समस्त कर्मप्रकृतियों के बन्धक हैं, ऐसा कहेंगे तो पृथग्-भिन्नरूप से आस्रवों का कथन करना व्यर्थ है ? क्योंकि, वह समस्त कर्म-प्रकृतियों का बन्धक होता है, और यदि ज्ञानप्रदोषादि प्रास्रव अपनी ही प्रकृति के बन्धक हैं, इस तरह कहेंगे तो शास्त्रकथित नियम से विरोध पाता है ? समस्त शास्त्रों का तो मन्तव्य यह है कि-आयुष्य कर्म को छोड़ करके शेष ज्ञानावरणीयादि सातों प्रकृतियों का बन्ध प्रति समय हुअा ही करता है। इस नियम के अनुसार ज्ञानावरणीय कर्म बांधता हुवा शेष 'छह' कर्मों का बन्धक है। क्योंकि-केवल आयुष्य कर्म का बन्ध ही जीवनभर में एक ही बार होता है, और वह भी एक समयवर्ती रहता है। ऐसा मानते हैं तो एक समय में एक कर्म-प्रकृति का आस्रव एक ही कर्म का बन्धक होता है। वह शास्त्रीय नियम से बाधित होता है क्योंकि वहाँ प्रकृति के अनुसार प्रास्रव करने का क्या हेतु है ? और किस उद्देश्य से ये विभाग करने में आये हैं ?