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________________ 5 मूलसूत्रम् 编 ॐ ह्रीँ अहं नमः ॐ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्र के पञ्चमाध्याय का * हिन्दी पद्यानुवाद मूलसूत्रकार- पूर्वधर महर्षि पूज्य वाचकप्रवर श्रीउमास्वाति जी महाराज फ पञ्चमोऽध्यायः जीवकाया धर्माधर्माकाशपुद्गलाः ।। ५- १ ।। द्रव्याणि जीवाश्च ।। ५-२ ।। नित्याऽवस्थितान्यरूपाणि च ।। ५-३ ।। * हिन्दी पद्यानुवाद रूपिणः पुद्गलाः ।। ५-४ ।। श्राssकाशादेकद्रव्याणि ।। ५-५ ।। निष्क्रियाणि च ॥ ५-६ ।। प्रजीवकायिक चार वस्तु धर्म से धर्म फिर आकाश पुद्गल चार मानो सूत्र का यह अर्थ फिर ॥ ये चार वस्तु अस्तिकाय जानिये नाम पूरे अर्थ में है सुज्ञ ! अध्याय में । जानो सूत्र में ।। १ ॥ जीव अस्तिकाय जोड़ो द्रव्य पंच ही धारिये । नित्य के साथ भाव से ही सारे अरूपी मानिये ॥ द्रव्य पुद्गल मात्र रूपी सूत्र का सारांश है । प्रथम के ये तीन द्रव्य एक प्रक्रिय अंश है ।। २ ।।
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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