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४० ]
श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
[ ३।११
स्थल
निषध
महाविदेह
नीलवन्त
रम्यक
खण्ड संख्या
___ ३२
६४
३२
योजन
१६८४२
३३६८४
१६८४२
८४२१
कला
स्थल
रुक्मि
हैरण्यवत
शिखरी
ऐरावत
कुल खण्ड
खण्ड संख्या
१६०
योजन
४२१०
२१०५
१०५२
१ लाख
कला
१२
[१०००००]
योजन
षड् पर्वतों का अवगाह तथा ऊँचाई प्रादि :
उपर्युक्त छह पर्वतों में से हिमवान् पर्वत का अवगाह पच्चीस (२५) योजन है, तथा उसकी ऊँचाई एक सौ (१००) योजन की है। महा हिमवान् पर्वत का अवगाह इससे दूना यानी पचास (५०) योजन है, तथा इसकी ऊंचाई दो सौ । २००) योजन की है। इससे दूना निषध पर्वत का अवगाह सौ (१००) योजन का है, तथा इसकी ऊँचाई चार सौ (४००) योजन की है। निषध पर्वत के समान नील पर्वत का तथा महाहिमवान् पर्वत के समान रुक्मि पर्वत का, एवं हिमवान् पर्वत के समान शिखरी पर्वत का प्रमाण जानना चाहिए ।
विशेष-भरतक्षेत्र का प्रमाण ज्या, इषु और धनुकाष्ठ इन तीन तरह से कहा है।
(१) ज्या-हिमवान् पर्वत से लगी हुई धनुष की डोरी के समान जो रेखा है, उसे 'ज्या' कहते हैं। उसका प्रमाण १४४०० योजन का है। अर्थात्-चौदह हजार चार सौ योजन और एक योजन के ७१ भाग में से ६ भाग का है।