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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
अब उनमें किन्हीं विषयों की अपेक्षा अधिकाधिक न्यूनता भी है, या नहीं । किन-किन विषयों की अपेक्षा है ? इस सम्बन्ध में प्रागे का सूत्र कहते हैं । (४-२१)
* वैमानिक देवों का अवधिज्ञान के क्षेत्र का कोष्ठक - यन्त्र
[१]
[२]
[३]
वैमानिक उत्कृष्ट ऊर्ध्व
देव
अवधि
१-२
कल्प
३-४
कल्प
५-६
कल्प
७-८
कल्प
६-१०
११-१२
कल्प
१ से ६ ग्रैवेयक
७ से ६
ग्रैवेयक
५
अनुत्तर विमान
अपने
अपने
विमान की
पताका
ध्वजा
पर्यन्त
जा
न
ना
उत्कृष्ट प्रघो अवधि
पहली रत्नप्रभा पृथ्वी के अन्त तक
दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी के अन्त तक
तीसरी वालुकाप्रभा पृथ्वी के अन्त तक
चौथी पंकप्रभा पृथ्वी के अन्त तक
पाँचवीं धूमप्रभा पृथ्वी के अन्त तक
छठी तमः प्रभा पृथ्वी के अन्त तक
सातवीं तमस्तमः प्रभा पृथ्वी के अन्त तक
लोक नालिका के अन्त तक ।
[ ४।२१
यदि है तो
[४]
उत्कृष्ट तिर्यग् अवधि
असंख्यात
योजन
तक ।
[ ऊपर-ऊपर के
देवों का
असंख्यात
प्रमाण
बड़ा बड़ा
समझना ]
स्वयम्भूरमण
समुद्र तक
(४-२१)