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जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन
सन्दर्भ:1. ऋषिभाषित : एक अध्ययन - डॉ. सागरमल जैन, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर,
1988, भूमिका, पृ.9 2. Isibhasiyaim, L.D.Series, 45, Edited by Dr Walther Schubring, L.D.
Institute of Indology, Ahmedabad, First Edition, 1974, Introduction, P.5 3. इसिभासियाइं (ऋषिभाषितानि), जैन विश्व भारती, लाडनूं, 2011, पृ. 13 4. यह टीका संक्षिप्त है तथा पुस्तक के पृ. 131 से 159 तक प्रकाशित है। 5. इसिभासियाई, लाडनूं, ऋषिभाषित : एक परिचय, पृ. 21 6. Isibhasiyaim, Ahmedabad, Introduction, P. 3-4 और देखें- इसिभासियाइं,
ऋषिभाषित : एक परिचय, पृ. 18 7. इसिभासियाइं, ऋषिभाषित : एक परिचय, पृ. 19 8. पत्तेयबुद्धसाहू, नमिमो जे भासिउं सिवं पत्ता।
पणयालीसं इसिभासियाइं अज्झयणपत्ताई।।- ऋषिमण्डलस्तोत्र, 45 9. इसिभासियाई, 20.2-3 एवं 7 10. इसिभासियाई, 20.7 11. इसिभासियाइं 22.2-3 12. पुरुष एवेदं सर्व यद्भूतं यच्च भव्यम्। 13. उतामृतत्वस्येशानो, यदन्नेनातिरोकृति।।- ऋग्वेद, पुरुषसूक्त, 10.90.2
(अ) इसिभासियाई, 37.1-2
(ब) शतपथ ब्राह्मण 11.1.6.1 में उल्लेख है- आपो ह वा इदमग्रे सलिलमेवास। 14. हिरण्यगर्भः समवर्तताऽग्रे, भूतस्य जातः पहिरेक आसीता- ऋग्वेद, 10.121.1 15. इसिभासियाई, 37.4 16. इसिभासियाई, 31.9 17. द्रष्टव्य व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 1 में रोह के साथ भगवान महावीर की चर्चा। 18. से जहाणामए पंच अत्थिकाया ण कयाइ णासी, ण कयाइ ण भवति, न कयाइ ण भविस्सति,
भुविंच, भवति य भविस्सति य, धुवा णितिया सया, अक्खयाअव्वया
अवट्ठिा । इसिभासियाइं 31.10 19. वही, 31.2 20. इसिभासियाइं, 21.3 21. इसिभासियाई, 2.7