________________
AR
भाषा छंद सहित । तद्विशेषः ॥२४॥ विशुद्धिक्षेत्रस्वामिविषयेभ्योऽवधिमनःपर्याययोः ॥२५॥ मतिश्रुतयोर्निबन्धो द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु ॥२६॥ रूपिष्ववधेः ॥२७॥ तदनन्तभागे मनःपर्ययस्य ॥२८॥ सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य ॥२९॥ एकादीनि भाज्यानि युगपदेकस्मिन्नाचतुर्थ्यः ॥३०॥ अप्रतिपाति विशुद्ध के कारण इन दोनोंमें विशेषता जानो॥८॥
दोहा। विशुद्ध क्षेत्र स्वामी विषय चारों कारण लेख । मनपर्जय अरु अवधिके जानो भेद विशेष ॥ ९॥ मैति श्रुति जानन नेम है द्रव्यन विर्षे सु जान । थोड़ी पर्जायें लखें द्रव्यनकी पहिचान ॥ १० ॥ रूपी पुद्गल जान अरु पुदगल रूपी जीव । थोडी पर्जाओं सहित जाने अवधि सदीव ॥११॥ सूक्ष्म रूपी वस्तु जो अवधि लखाई देत । तासु अनंते भागको मनपर्जय लखि लेत ॥१२॥ सर्व द्रव्य पर्जायको केवल विषय विख्यात । मैतिज्ञानसे चार लौं जुगपत जीव लहात ॥१३॥