________________ पठनक्रमकी पुस्त जैन सिद्धांत। गोमट्टसार-जीवकांड-साथ जैनेन्द्र गोमट्टसार-कर्मकांड-साथ छपता है। लघुसिर મીચા, जैनसिद्धांत-प्रवेशिका शब्दार्ण જ્ઞાભ ડી तत्वार्थराजवार्तिकालंकार 4) सिद्धांत तत्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार 4) सिद्धांत तत्वार्थसूत्र-सार्थ पंचाध्यायी-मूल // ), सार्थ 5 // ) पंचास्तिकाय-सार्थ | अमरकोष-मूल // ), शब्दानुक्रमणिव प्रवचनसार-सार्थ सहित ), सार्थ वृहदूद्रव्यसंग्रह धनंजयनाममाला-सार्थ सर्वार्थसिद्धि विश्वलोचनकोष-सार्थ 16 समयप्राभृत-दो सं० टीकासंयुक्त 3 // ) बृहदूजैनशब्दार्णव-प्र० खंड ..3) न्याय। काव्य, चम्पू और अलंकार। अष्टसहस्री 3) अलंकारचिंतामणि आप्तपरीक्षा-मूल-) सार्थ / -) गद्यचिंतामणि आप्तमीमांसा-मूल-), भाषा) जयकुमार-सुलोचना ) आप्तमीमांसा–प्रमाणपरीक्षा 1) जीवंधरचम्पू परीक्षामुख–सार्थ ),) धर्मशर्माभ्युदय प्रमेयरत्नमाला-भाषा ) पाश्वांभ्युदय प्रमेयकमलमार्तड 4) वाग्भट्टालंकार-सटीक सप्तभंगीतरंगिणी-सार्थ ) क्षत्रचूडामणि-जीवंधरचम्पूसहित 2) अन्य सब प्रकारके जैन-ग्रंथोंके मिलनेका पता:मैनेजर-जैनसाहित्यप्रसारक कार्यालय, हीराबाग, पोष्ट गिरगांव, बम्बई / आभार। कलकत्ताकी श्रीभारतीयजैन सिद्धांतप्रकाशिनी संस्था द्वारा प्रकाशित संस्करण परसे हमने इसे प्रकाशित किया है। अतएव हम उक्त संस्थाके आभारी हैं। श्रीमान् पंडित खूबचंदजी शास्त्रीने इसका प्रूफ संशोधन करनेका कष्ट उठाया है। इसके लिये हम उनके भी आभारी हैं। प्रकाशक।