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अपूर्व ग्रन्थ लिखकर भारतीय दर्शन शास्त्र को चमत्कृत कर दिया ।
संस्कृत कालेज कलकत्ते के प्रिंसपल महामहोपाध्यायपं० सतीशचन्द्र विद्याभूषण एम० ए० ने अपने "इंडियन मेडिवल लाजिक" नामक ग्रन्थ में विद्यानन्द स्वामी का समय ईस्वी सन् ८०० के लगभग निश्चित किया है ।
निवेदन |
इस अनुवाद में शब्दार्थ पर विशेष लक्ष्य न देकर ग्रन्थकार के भाव को सरल भाषा में समझाने का भरसक प्रयत्न किया गया है । और छपते समय यह अनुवाद, श्रीयुक्त पंडित अम्बादासजी शास्त्री, प्रिंसपल संस्कृत विभाग हिन्दुकालिज व मुख्याध्यापक स्याद्वादमहाविद्यालय बनारस " तथा जैन धर्म भूषण ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी अधिष्ठाता श्री स्याद्वादमहा विद्यालय बनारस, व सम्पादक जैन मित्र को, दिखला लिया गया है। मैं नहीं कह सकता कि इस प्रथम प्रयास में मुझे कहां तक सफलता प्राप्त हुई है । यदि पाठकों ने इसे अपनाया तो आशा है कि अपने बढ़ते हुए उत्साह को न शेक कर, शीघ्र ही इस विषय के अन्य ग्रन्थों को भी पाठकों की भेट करने का सौभाग्य प्राप्त होगा ।
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