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सामग्री व सुविधाओं को उपलब्ध करवाकर उसे प्रोत्साहित ६ करना तथा सरल व सफल बनाना इस कार्यक्रम का मुख्य या उद्देश्य है। पू. साध्वी श्री भाग्यलता श्रीजी
जैन प्राराधना भवन श्री अष्टापद जैन तीर्थ -- सुशील विहार की विशाल योजना के अन्तर्गत प. पू. प्राचार्यदेव श्रीमद्विजय अरिहन्त-सिद्ध सूरीश्वर जी म.सा. की प्राज्ञानुवर्तिनी पू. साध्वी श्री सुशील भक्ति - ललितप्रभा-स्नेहलता श्री जी म.सा. की शिष्या पू. साध्वी जी श्री भव्यगुणा श्रीजी म.सा., पू. साध्वी जी श्री दीव्यप्रज्ञा श्रीजी म.सा. (पू. माताजी महाराज) तथा पू. साध्वीजी श्री शीलगुणा श्रीजी म.सा. ) आदि एवं उनकी शिष्या-प्रशिष्याओं के सदुपदेश एवं मंगल प्रेरणा से पू. साध्वीजी श्री दोव्यप्रज्ञा श्रीजी म.सा. तथा पू. साध्वीजी श्री शीलगुणा श्रीजी म.सा. के चल रही श्री वर्धमान तप की १००वीं अोली की आराधना निमित्त श्राविका - आराधना भवन (उपाथय) का भव्य निर्माण हुआ है।
श्री अष्टापद जैनतीर्थ, सुशील विहार, रानी के निर्माण में पूज्य साध्वी जी महाराज की मंगल प्रेरणासदुपदेश रहा है।
पूज्य साध्वी जी महाराज की प्रेरणा से इस तीर्थ में 1 अनेक भव्य योजनाएँ निर्माणाधीन हैं।
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