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________________ (१०५) . [ षष्ठ परिच्छेद परम्परा फल की भाँति साक्षात् फल भी प्रमाण से कथंचित भिन्न और कथंचित् अभिन्न है। शंका-आपने ज्ञान को प्रमाण माना है, अज्ञान निवृत्ति को साक्षात् फल माना है और इन दोनों में कथंचित् भेद भी कहते हैं। पर ज्ञान में और अज्ञाननिवृत्ति में क्या भेद है ? यह दोनों एक ही मालूम होते हैं ? समाधान-ज्ञान ही अज्ञान-निवृत्ति नहीं है परन्तु ज्ञान से अज्ञान-निवृत्ति होती है। अतः ज्ञान-रूप प्रमाण साधन है और अज्ञान निवृत्ति रूप फल साध्य है। प्रमाता और प्रमिति का भेदाभेद प्रमातुरपिस्वपरव्यवसितिक्रियायाः कथञ्चिद् भेदः।१७। कतक्रिययोः साध्यसाधकभावेनोपलम्भात् ॥ १८ ॥ कर्ता हि साधकः स्वतन्त्रत्वात् , क्रिया तु साध्या कनिर्वर्त्यत्वात् ।। १६ ॥ अर्थ-प्रमाता (ज्ञाता) से भी स्व-पर का निश्चय होना रूप क्रिया का कथंचित भेद है। - क्योंकि कर्ता और क्रिया में साध्य-साधकभाव पाया जाता स्वतन्त्र होने के कारण कर्त्ता साधक है और कर्ता द्वारा उत्पन्न होने के कारण क्रिया साध्य है ।।. ..... विवेचन- यहाँ कर्ता ( प्रमाता ) और क्रिया ( प्रमिति ) का
SR No.022434
Book TitlePramannay Tattvalok
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachandra Bharilla
PublisherAatmjagruti Karyalay
Publication Year1942
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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