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२०० स्वर्गीय पं० जयचंदजी विरचित
माता मे बंध्या पुरुषसंयोगेऽप्यगर्भत्वात प्रसिद्धवंध्यावत् ॥ २० ॥ __याका अर्थ—मेरी माता वांझ है जाते पुरुषका संयोग होतें भी ताकै गर्भवतीपणां नांही है जैसे अन्य प्रसिद्ध वंध्या है तैसैं । इहां मेरी माता कहनेत वैध्या कहना अपनां यचनहीत बाधित भया, जो वंध्या है तो आप पुत्र कैसैं भया ॥ २० ॥ आU क्रममैं आये जे हेत्वाभास तिनिकू कहैं हैं;
हेत्वाभासा असिद्धविरुद्धानकान्तिकाकिंचि. त्कराः ॥२१॥
याका अर्थ—हेत्वाभास च्यारि हैं; असिद्ध, विरुद्ध, अनैकान्तिक, अकिंचित्कर ऐसें ॥ २१ ॥ आरौं इनिका यथानुक्रमकरि उदाहरणसहित लक्षण हैं हैं;असत्सत्तानिश्चयोऽसिद्धः ॥ २२ ॥ याका अर्थ--असत् है सत्ता अर निश्चय जाका सो असिद्ध हेवाभास है ॥ सत्ता अर निश्चय जो है सो “ सत्तानिश्चयौ ” कहिये, नही है सत्ता अर निश्चय जाको सो असत्सत्तानिश्चय कहिये ॥ २२ ॥
आगें पहला भेदकू कहैं हैं;
अविद्यमानसत्ताकः परिणामी शब्दः चाक्षुषत्वात् ॥ २३॥
याका अर्थ-नाही विद्यमान है सत्ता जाकी सो असत सत्ताक नामा असिद्ध हेत्वाभास है जा” शब्द है सो परिणामी है जातें चाक्षुष है । इहां शब्द तौ श्रावण है अर चाक्षुष हेतु सूं साधै सो शब्दविर्षे चाक्षुषपणांकी सत्ता नाही ॥ २३ ॥