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हिन्दी प्रमेयरत्नमाला ।
विषमच्छद वृक्ष होय तब सात पत्र देख पहले सुण्यां ताकू यादकरि जान्यां जो यह 'विषमच्छद है। भीमसेनी कर्पूरकी उपजावनेवाली जो वेलि ताकू भी विषमच्छद कहैं हैं, यह भी प्रत्यभिज्ञान है । बहुरि पहले सुण्यां था जो पंचवर्णका मेचकनामा रत्न होय है तब कहूं पंचवर्णका देखकरि पहले सुण्यां ताकू यादिकरि जानैं 'यह मेचकनाम रत्न है, यह भी प्रत्यभिज्ञान भया। बहुरि पहले सुनी थी जो जाके कुच बड़े भारे विस्तारसहित होय सो स्त्री होय है पीछ भारे स्तन देखि पहले सुनींकू यादकरि जानैं जो ‘यह स्त्री है' यह भी प्रत्यभिज्ञान भया । बहुरि पहले सुन्यां था जो जाकै एक सींग खग होय सो गैंडा होय है पी0 एक सींग देखि पहलेकू यादकरि जाण्यां जो 'यह गैंडा है' यह भी प्रत्यभिज्ञान है । बहुरि पहले सुन्यां था जो जाकै आठ पग होय सो शरभ होय है पीछे आठ पग देखि पहले सुनेंकू यादिकरि जानी जो 'यह शरभ है' शरभ ऐसा नाम अष्टापदका है यह भी प्रत्यभिज्ञान है। बहुरि पहले जान्यां था जो जाकै सुन्दर मस्तकपरि सटा कहिये केशनिकी लटी बहुत होय सो सिंह होय है पीछे सटाकू देखिकरि पहले जाण्यांकू यादकरि जानैं 'यह सिंह है। यह भी प्रत्यभिज्ञान है। ऐसैं इनिकू आदि देकरि ये उदाहरण हैं । इनिके नामके शब्द सुनि बहुरि तैसा ही हंस आदिकू देखिकरि पहले सुनेंकू यादिकरि तैसैं ही प्रतीति करै तब तिनिका संकलनरूप जोड़का ज्ञान भया सो प्रत्यभिज्ञान कह्या है जातें इनिमैं देखनां अर याद करनां ये दोऊ कारण सर्वमैं समान हैं। बहुरि अन्यमतीनिकै ये न्यारे प्रमाण ठहरें हैं जातै उपमानप्रमाणवि. इनिका अन्तर्भाव नाही होय है तब प्रमाणकी संख्या बिगडै है॥६॥ __आणु ऊह कहिये तर्क प्रमाणके कहनेका अवसर पाया है ताकू कहैं हैं;