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Hasir
Piscourses
नमः सिद्धेभ्यः।
श्रीसमन्तभद्राचार्य विरचित आप्त-मीमांसा।
देवागमापरनाम। पं० जयचंदजी विरचित हिन्दीटीकासहित ।
अथ देवागमनाम स्तवकी देशभाषामयवत्रनिका लिखिये हैं।
दोहा । वृषभ आदि चउवीस जिन, बंदो शीस नवाय । विधनहरन मंगलकरन, मन वांछित फलदाय ॥१॥ सकलतत्वपरकास कर, स्यादवादमयसार। शब्द-ब्रह्म सांचे नमो, जनवचन हितकार ॥२॥ वृषभसेनकू आदि लें, अंतिम गौतमस्वामि। चउदहसै त्रेपन नमी, गणधर मुनिवर नामि ॥३॥