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नयचक्रसार, हि० अ० बहुत काल हुवा परन्तु आज दीवाली के दिन वीर भगवान का नीर्वाण हुवा ऐसा कहते हैं. यह वर्तमान में अतीत काल का
आरोप है अथवा आज पद्मनाभ प्रभु का निर्वाण है ऐसा कहना यह वर्तमान काल में अतीत काल का आरोप हुवा इसी तरह अतीत अनागत वर्तमान काल के दो २ भेद करने से कालारोप के छे भेद होते हैं.
(४) कारण विषय कार्य का आरोप करना जिस के चार भेद ( १ ) उपादानकारण २ निमितकारण ३ असाधारणकारण ४ अपेक्षाकारण. जैसे-बाह्य क्रिया है वह साध्वसापेक्ष बाले को धर्म के लिये निमित्त कारण है. इस लिये धर्मकारण कहना इसी तरह तीर्थंकर मोक्ष का कारण है इस लिये उनको तिन्नाणं तारयाणं कहना. यह कारणविषय कर्तापने का आरोप कहा इस तरह आरोपता अनेक प्रकार से है । संकल्प नैगम के दो भेद हैं. १ स्वपरिणामरूपवीर्य चेतना के नवीन २ क्षयोपशम २ कार्यान्तर से नये २ कार्य से नया २ उपयोग होना । और अंश नैगम के भी दो भेद हैं- १ भिन्नांश-जुदे २ अंश स्कंधादि
२ अभिन्नांश-आत्मा के प्रदेश तथा गुण के अविभाग इत्यादि ये सब नैगमनय के भेद हैं।
सामान्य वस्तुसत्ता सङ्ग्राहकः सङ्ग्रहः स द्विविधः सामान्यसङ्ग्रहो । विशेषसङ्ग्रहश्च, सामान्यसङ्घहो। द्विविधः मूलत उत्तरश्च मूलतोऽस्तित्वादिभेदतः षड्विधः उत्तरतो जातिसमु