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लब्धिसारकी विषयसूची।
२२५ बंधापस
विषय.
पृ. पं. ।
विषय. मंगलाचरण, ग्रंथप्रतिज्ञा ... ... ११ उपशमचारित्रका वर्णन ... ... ५९।२०३ दर्शनलब्धि अधिकार-१
उपशमश्रेणी चढ़नेमें द्वितीयोपशम स
. म्यक्त्वीकी अवस्था ... ... ५९।२०४ प्रथमोपशसम्यक्त होनेके योग्य
चारित्रमोहकर्मके उपशमकरनेमें आठ पांच लब्धियोंके नाम २१३ अधिकारोंका वर्णन ... ...
६३।२१८ क्षयोपशमलब्धिका खरूप ... . २।४
तीनकरणका विधान . ...
६३।२१९ विशुद्धिलब्धिका लक्षण ... ...
बंधापसरणादिका खरूप... ... ६३।२२० देशनालब्धिका खरूप ....
३।६/उपशांतकषायसे पड़नेकी विधि ... ८५।३०५ प्रायोग्यलब्धिका खरूप ...
उपशमश्रेणी चढ़नेवाले बारह तरहके प्रकृतिबंधापसरणके चोंतीस स्थानोंका
जीवोंकी विशेष क्रियायें ... ९७१३४९ वर्णन
४।११ उदयका खरूप
९।२८
क्षायिकचारित्र अधिकार-३ सत्त्वका स्वरूप
१०॥३१ चारित्रमोहकी क्षपणा (नाश करने) करणलब्धिका स्वरूप
११।३३ का विधान ... ... १०८।३८९ अधःकरणका खरूप
११।३५ अधःप्रवृत्तकरणका वर्णन... ... १०९।३९० अपूर्वकरणका स्वरूप १५५० अपूर्वकरणका खरूप ...
११०१३९४ गुणश्रेणीका वर्णन २०६८ गुणश्रेणीका स्वरूप
११०॥३९५ गुणसंक्रमणका खरूप ... २२।७५ गुणसंक्रमका स्वरूप
१११॥३९७ स्थितिकांडकघातका खरूप
२३१७७ स्थितिखंडनका स्वरूप
११२।४०२ अनुभागखंडनका कथन ...
२३१७९ अनुभागखंडनका स्वरूप...
११३१४०५ अनिवृत्तिकरणका खरूप...
अनिवृत्तिकरणका स्वरूप ...
११३१४०८ प्रथमोपशम सम्यक्सकी प्राप्तिके योग्य
स्थितिबंधापसरणका क्रम
११५/४१२ काल ... ... ८1९७स्थितिसत्त्वापसरणका क्रम
११७१४२४ क्षायिक सम्यक्त्वका वर्णन और उस
क्षपणाका खरूप
११८१४२६ के योग्य सामग्री ३२।११० देशघातिकरणका स्वरूप ...
११८१४२८ अंतकांडकका विधान ... ... ४०।१३९
अंतरकरणका खरूप ...
११९।४३० दर्शनमोहकी क्षपणाके अल्पबहुलके
संक्रमणका खरूप ... ... १२०१४३३ तेतीसस्थान
...४४।१५३भारी
अपगतवेदीकी क्रियाका खरूप ... १२६।४५९ चारित्रलब्धि अधिकार-२ अनुभागकांडकके घात होनेपर जो चारित्रलब्धिका खरूप और भेदोंका
__ अवस्था हो उसका कथन ... १३११४७८ कथन ... ...
४८1१६६ कृष्टि-क्रियासहित अर्श्वकर्ण क्रिया होनेदेशचारित्रका कथन ... ... ४८।१६७ में यति वृषभाचार्यकी सम्मति ... १३२१४८५ सकल चारित्रका वर्णन ... ... ५४।१८७ बादरकृष्टिकरणका काल ... ... १३३१४८७