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एकता साधारणतः असम्भव है, किन्तु सांख्य की दृष्टि में ये तीनों प्रकृति के रूप में एकीभूत हो जाते हैं, अतः यह कहना होगा कि सांख्य-मत में भी एक वस्तु दूसरी वस्तु से एकान्ततः भिन्न अथवा अभिन्न नहीं होती किन्तु अनेकान्तवादी जैन-मत के अनुसार कथंचित् भिन्न और कथंचित् अभिन्न होती है। क्योंकि यदि ऐसा न माना जायगा तो परस्परभिन्न उक्त गुणों की एक प्रकृति से अभिन्नता का तथा एक प्रकृति की परस्परभिन्न उन तीन गुणों से अभिन्नता का समर्थन कैसे किया जा सकेगा ?
बौद्ध भी समूहालम्ब ज्ञान को एकाकार और अनेकाकार मानता हैं, समूहालम्बन ज्ञान स्वतः एक है और अपने एक स्वरूप का संवेदनकारी होने से एकाकार है । पर साथ ही नील, पीत आदि अनेकविध संवेदनकारी होने से नील, पीत आदि अनेक आकार वाला भी है, इस प्रकार वह एकाकार भी है और अनेकाकार भी है। बौद्ध की इस मान्यता का समर्थन भी अनेकान्तवाद की नीति से ही सम्भव है, अन्यथा एक ज्ञान में परस्पर विरुद्ध एकाकारता और अनेकाकारता का समन्वय कैसे हो सकता है ?
गौतम के न्यायदर्शन तथा कणाद के वैशेषिक दर्शन के मर्मज्ञ मनीषियों को भी चित्र रूप के सम्बन्ध में अनेकान्तवाद की शरण लेनी पड़ती है, क्योंकि पर्याप्त विचार करने पर यही निष्कर्ष निकलता है कि चित्र कोई एक अतिरिक्त रूप नहीं है किन्तु नील, पीत आदि विभिन्न रूप वाले अवयवों से उत्पन्न होने वाले अवयवी में नीलत्व, पीतत्व आदि विभिन्न प्रकारों से प्रतीत होने वाला नील, पीत आदि कोई एक ही रूप चित्र शब्द से व्यवहृत होता है। अर्थात् उस ढंग के द्रव्य में कोई एक ही रूप कथंचित् नील, पीत आदि अनेक आकारों से आलिङ्गित होता है।
इसलिए यह स्पष्ट है कि उक्त दार्शनिकों को यदि कुछ भी शील, संकोच वा विवेक हो तो उन्हें जैनदर्शन के अनेकान्तवाद के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोलना चाहिये, क्यों कि वे अपने को अनेकान्तवादी न मानते हुए भी ऐसी अनेक बातें मानते हैं जो अनेकान्तवाद की परिधि मे ही पल्लवित हो सकती हैं ।
तार्किकशिरोमणि रघुनाथ भट्टाचार्य ने संयोग आदि अव्याप्यवृत्ति ( अपने अभाव के साथ एक स्थान में रहने वाले ) गुणों के आश्रय में उन गुणों के आश्रय का भेद जैसे शाखा-द्वारा कपिसंयोग के आश्रयभूत वृक्ष में मूल-द्वारा कपिसंयोगी का भेद, तथा पट आदि द्रव्यों के आश्रय में घटत्व आदि रूपों से उनका अभाव, जैसे पटवान् भूतल में घटत्वेन पटाभाव जैसा नवीन अभाव माना है, पर स्याद्वाद को जिसके आधार पर ही उक्त मान्यतावों का समर्थन हो सकता