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में श्रद्धा न होने से । (५) मुहूर्त के अनन्तर स्वाति नक्षत्र का उदय नहीं होगा, चित्रा नक्षत्र के उदय के न दिखाई देने से । (६) मुहूर्त से पहले पूर्व भद्रपदा नक्षत्र का उदय नहीं हुआ, उत्तर भद्रपदा नक्षत्र का उदय का अज्ञान होने से । (७) इस मनुष्य में सम्यग ज्ञान नही है, सम्यग् दर्शन के अनुपलब्ध होने से ।
विवेचना:-प्रथम उदाहरण में निषेध्य घट है. उसका स्वभाव दर्शन योग्य है । साममे के देश में घट हो, कोई प्रति. बंधक न हो और सहकारी कारण प्रकाश हो, इस दशा में चक्ष के साथ संबंध हो तो घट अवश्य प्रत्यक्ष होता है। जब उपलब्धि के कारण होने पर भी घट उपलब्ध नहीं होता। तब घट का अभाव अनुपलब्धि से सिद्ध होता है । घट का स्वभाव देखने योग्य है। उसका स्वभाव इस प्रकार का नहीं है-जिसके द्वारा कारणों के उपस्थित होने पर भी वह दिखाई मरे। इसलिये भूतल में घट का अभाव सिद्ध होता है। ___ यहां शका होती है,-उपलब्धि के कारणों के साथ संबंध होने पर भी उपलब्धि नहीं होती इसलिये आप पुरोवर्ती भूतल में घट के अभाव को सिद्ध करते हैं । परन्तु जो घट विद्यमान नहीं है उसके साथ चक्षु आदिका सबंध नहीं हो सकता । यदि चक्षु आदिके साथ संबंध हो, तो घट का अभाव नहीं हो सकता । इसका उत्तर यह है- यहां घट के स्वरूप को आरोपित करके निषेध किया जाता है। यदि घट विद्यमान हो तो प्रतिबंधक के न होने पर और सहकारी