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________________ इम पर पूर्वपक्षी आक्षेप करता है-'वह वक्ष है' इम आकार की प्रतीति में 'वह' विशेषण है और 'वृक्ष' विशेष्य है। विशेष्य का जो काल है उस काल का संबंध विशेषण के साथ होता है । यह पुरुष दंडी है यह ज्ञान विशिष्ट ज्ञान है। इसमें दण्ड विशेषण है और पुरुष विशेष्य है। विशेष्य पुरुष का संबंध वर्तमानकाल के साथ है। इस वर्तमानकाल का संबंध विशेषण दण्ड के साथ भी प्रतीत होता है । पुरुष के समान दण्ड भी वर्तमानकाल में प्रतीत होता है । इस कारण वह वृक्ष है इस आकार के स्मरण में विशेष्य वृक्ष के साथ जिस प्रकार चतमानकाल का संबंध है, इस प्रकार 'वह' रूप विशेषण से अतीतकाल की जो प्रतीति होती है उसके साथ वर्तमाजता का संबंध प्रतीत होता है। परन्तु यह आक्षेप युक्त नहीं है । जहाँ पर कोई बाधक न हो तो विशेष्य का जो काल है उसका संबध विशेण के साथ प्रतीत हो सकता है। वहाँ पर विशेषण और विशेष्य दोनों का एक काल प्रतीत होता है। परंतु जहाँ "पर बाधक प्रमाण हो. तो दोनों का काल भिन्न रहता है। पूर्वकाल में जो दण्डी था वह अब दण्ड रहित है इस प्रकार की प्रतीति में विशेष्य पुरुष के साथ वर्तमानकाल का सबंध 'प्रतीत होता है, परंतु दण्ड के साथ नहीं प्रतीत होता । दण अतीतकाल में प्रतीत होता है । जब वह वृक्ष है' इस प्रकार का स्मरण होता है तब विशेषण के साथ वर्तमानकाल का सबंध नहीं प्रतीत होता . वह इस प्रकार का उल्लेख अतीतकाल के साथ संबंध को प्रकट करता है। जो अतीत है वह वर्तमान नहीं है, अतः यह उल्लेख अतीतकाल को वर्तमान रूप में नहीं प्रकट करता । अतीत और वर्तमान इन दोनों
SR No.022395
Book TitleJain Tark Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarchandra Sharma, Ratnabhushanvijay, Hembhushanvijay
PublisherGirish H Bhansali
Publication Year
Total Pages598
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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