SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय। सुबोधिनी टीका। Anovovvvvw उत्तरसत्यं तन्नामकर्मापि लक्षणाचित्रकारवत् । नूनं तदेहमात्रादि निर्मापयति चित्रवत् ॥ ९८२ ॥ आस्ति तत्रापि मोहस्य नैरन्तर्योदयोञ्जसा। तस्मादौयिको भावः स्वात्तद्देहक्रियाकृतिः ॥ ९८३ ॥ अर्थ-जिस प्रकार चित्रकार अनेक प्रकारके चित्र बनाता है उसी प्रकार नाम कर्म भी नियमसे शरीरादिकी रचना करता है, साथ ही वहां पर मोहनीय कर्मका निरन्तर उदय रहता है, इसी लिये उस देह क्रियाके आकार औदयिक भाव होता है। भावार्थयद्यपि नामकर्मका कार्य शरीरादिकी रचना मात्र है वह भावोंके परिवर्तनका कारण नहीं हो सक्ता है, यह ठीक है । तथापि उस नाम कर्मके उदयके साथ ही मोहनीय कर्मक, उदय भी बराबर रहता है इस लिये उस पर्यायमें औदयिक भाव अपना कार्य करता है। यदि मोहनीय कर्मका उदय नाम कर्मके साथ न हो तो वास्तवमें वह पर्याय जीवके भावों में संक्लेश नहीं कर सक्ती है, अरहन्त परमेष्ठीके नाम कर्मका उदय तो है परन्तु मोहनीय कर्म उनके नहीं है इसलिये स्वाभाविक भावों में परिवर्तन नहीं होता है । अतः मोहनीय कर्मक अविनाभाव ही वास्तवमें कार्यकारी है। शङ्काकारननु मोहोदयो नूनं स्वायत्तोस्त्येकधारया। तत्तद्रपुः क्रियाकारो नियतोऽयं कुतो नयात् ॥ ९८४ ॥ अर्थ-मोहनीय कर्मका उदय अनर्गल रीतिसे अपने ही अधीन है । वह फिर भिन्न भिन्न शरीरोंकी क्रियाओंके आकार किस नयसे नियत है ? अर्थात् भिन्न २ शरीरानुसार मोहनीय कर्म क्यों फल देता है ? उत्तर नैवं यतोनभिज्ञोसि मोहस्योदयवैभवे । तत्रापि बुद्धिपूर्व चाऽधुडिपूर्व स्वलक्षणात् ॥ ९८५॥ अर्थ-शंकाकारका उपर्युक्त कथन ठीक नहीं है । शङ्काकारसे आचार्य कहते हैं कि -मोहनीय कर्मका उदय वैभव कितना बढ़ा हुआ है, और वह अपने लक्षणके अनुसार बुद्धिपूर्वक अबुद्धिपूर्वक आदि भेदोंमें बँटा हुआ है इस विषयमें तुम सर्वथा अजान हो । भावार्थ-मोहनीय कर्मका बहुत बड़ा विस्तार है, वह कहां २ किस २ रूपमें उदयमें आरहा है इसके समझनेकी बड़ी आवश्यकता है।
SR No.022393
Book TitlePanchadhyayi Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherGranthprakash Karyalay
Publication Year1918
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy