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________________ 673 प्रमाणवचनम् पुटम् 611 प्रमाणवचनम् सत्वादिगुणा सत्स्वलक्षण सदेव सोम्यद 257 26 स देव यदि सन्निकुष्ट स पठद्भिः सप्तगतर्विशे 452 सप्तानां गति समन्यतेऽतः समन्वयात् समष्टिव्यष्टि समस्तवस्तु समहीनाधिक समानदेश. 294 संक्षोभ 302 | सरूपेण 193 | सर्व एव 213 | सर्व एव | सर्वं च युज्यते सर्वत्रैवानंपे | सर्वथा 157 , | सर्वदा निर्वि 473 | सर्वं न यु 443 | सर्व नित्यं 584 | सर्व प्रत्यु 122/ सर्वव्यापी 258 | सर्वशश्च न सं 334 ! सर्वसंस्कार 215 | सर्वज्ञत्वादि 292 | संविद्विकास 394 सर्वधर्माश्च 29 | सर्वाग्रहण 180/ सर्वे निमेषा 321 | सर्व प्राणा 290 84 472 191 373 373 418 382 191 281 114 636 191 369 422 295 334 231 621 472 473 231 177 48 21 162 337 137 452 समुदायादि समेत्यान्योन्य सम्यज्ज्ञानपू संख्या संग्रहकारिते वै संघातो जायत संबन्धग्रहणे संयुक्तद्रव्य संयुक्तो द्वा संयोगोप संवृत्ताभ 253 242 | सर्वेषामर्थानां सर्वात्मन् 476 | सर्वात्मनः 237 | सर्वादीनि 237 स्पर्शरसगन्ध 202 स्पष्टावभासं 592 | संसरातनिरुप ... .
SR No.022392
Book TitleTattva Muktakalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorD Srinivasachar, S Narasimhachar
PublisherMysore Government Branch
Publication Year1933
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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