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128 • ‘द्रव्य-गुण-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्याम्यामां वएर्शवेला पछार्थोनी याही •
नाश (वादिदेवसूरिसम्मत)
(१) पर्यायार्थिकसम्मत नाश (२) व्यवहारसम्मत नाश
नाश (सम्मतिकारसम्मत) (१) प्रायोगिक नाश (I) अर्थान्तरगमन नाश
नाश
(२) वैस्रसिक नाश
(II) समुदयविभागकृत (रूपान्तरगमन )
नित्यता
(I) अर्थान्तरगमन ( समुदयजनित)
निकाचित कर्म
निक्षेप
नाश १३४५- १३४९,१३६१-१३६८
१३४४,१३६३-६४ नित्य पर्याय नित्यवाद १३४६-१३४७,
१३६२,१३६४ | नित्य स्वभाव
१३४५, १३६२-१३६४ १३४५
(II) ऐकत्विक ( रूपान्तर परिणाम )
नाश
१३४५,१३५९,१३६२-१३६८ (III) समुदयविभागकृत नाश १३४५,१३४८,
१३६२-१३६८
नाशत्व लक्षण देखिए लक्षण नास्तित्वपरिणाम
देखिए
परिणाम
नास्ति स्वभाव
देखिए
स्वभाव
(२) सामान्य स्वभाव
कर्म
१३५४ | नित्यत्वलक्षण १३५२ | नित्य द्रव्यार्थिकनय
देखिए
(१) काल निक्षेप
(२) गुण निक्षेप
(३) वस्त्र निक्षेप
निगरण (निगीर्णत्व - अधःकरण) निजस्वभावस्थिति
(१) एकान्त नित्यता
(२) परिणामि नित्यता
नित्यानित्य अनेकांत
नित्यानित्यवाद
निन्दा (गर्हा)
८९१-८९३
१९८८-१९९२ २५७६
१५८२
निरुपाधिक गुण १६५१ निरुपाधिक भेद
| निरूढ लक्षणा
निरूपितत्व संबंध
निर्ग्रन्थ प्रज्ञापना निर्बीज समाधि
१११२-१११३,१११८- निर्वर्तक कारण १११९,१३६२,१७७३, निर्विकल्पउपयोग १७८१,१७८३,१७८४ निर्विकल्प दशा ४३७,१११४-१११५, | निर्विकल्प सुख
१७७९, १७८३-८४
लक्षण
नय (देवचंद्रजी
सम्मत) (१) द्रव्यार्थिकनय पर्याय (प्रकीर्णक)
वाद
स्वभाव
(२) सामान्य स्वभाव
अनेकांत
देखिए देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
निमित्त कारण देखिए नियतपर्याय आरंभवाद देखिए नियतप्रवृत्ति अनुपपत्ति देखिए नियम
देखिए
निरनुबंध योग
देखिए
निरनुबन्धी पुण्य
देखिए
पुण्य
निरन्वय नाश
देखिए अनित्यता
निरपेक्ष पर्याय
देखिए पर्याय (दिगंबरसम्मत)
देखिए योगी
निराचारपद योगी निरालम्बनयोग
निरुद्ध चित्त
देखिए
देखिए
वाद
दोष
(रत्नत्रयसंबंधी)
कारण
आरंभवाद
देखिए
देखिए चित्त
देखिए गुण (द्विविध) देखिए भेद (प्रकार) देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
देखिए
दोष (दूषण )
योग (अष्टांग)
योग (अवशिष्ट )
२३७९
लक्षणा (सामान्यतः )
संबंध
प्रज्ञापना
समाधि (पातंजल)
कारण
उपयोग (चैतन्य)
दशा
सुख