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________________ ध्यान (चतुर्थ) (१) परमशुक्ल ध्यान ( २ ) शुक्ल ध्यान ध्यान ( प्रकीर्णक) 'द्रव्य - गुएा-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायामां वर्शवेला पछार्थोनी याही ● 123 (II) एकत्ववितर्क अविचार शुक्लध्यान (III) सूक्ष्मक्रिया अनिवृत्ति शुक्लध्यान ५७,६० (IV) समवच्छिन्नक्रिया अप्रतिपाती शुक्लध्यान ध्यान देखिए ध्यानजन्यसुख देखिए ध्यान - ध्येयभाव संबंध देखिए ध्यानफल ध्यानमार्ग चतुष्टय ध्यानमार्गभेद ध्यानयोग ध्यानसिद्धि ध्यानाभ्यासरस ध्येयगुणमयता ध्रुवावा ध्रौव्य (१) स्थूल ध्रौव्य (२) सूक्ष्म ध्रौव्य देखिए ध्वंस नञ्पदवाच्यता नट वैराग्य नमस्कार देखिए देखिए (१) वीतराग नमस्कार (२) संसार नमस्कार २४६५, २५०४, २५३५, २५३८-३९, २५४५ योग (अष्टांग) सुख संबंध ५७,६० नय (आध्यात्मिक) ५७, ६० नय (अनुयोगद्वारवृत्तिकारसंमत) (१) द्रव्यास्तिकनय (I) विशुद्ध द्रव्यास्तिकनय ५७ ५७ २४६५ २३८३-८४ २५७० २५३८ २५३९ २३७९ १३७०-१३७७ १३७० १३७१ अभाव (१) संसर्ग अभाव १६७७-१६८२, १८५८ - १८६० देखिए वैराग्य भेद (प्रकार) योग (योगबिन्दु) २४१८-१९ २४१८ (II) अविशुद्ध द्रव्यास्तिकनय ७७७ ७७७ (१) निश्चयनय (I) शुद्ध निश्चयनय (II) अशुद्ध निश्चयनय (२) व्यवहारनय (I) सद्भूत व्यवहारनय (A) उपचरित सद्भूत व्यवहारनय ९०७-९१६ ९०८-९१०, ९१२ - ९१४,१९८१ ९१०-९१२ ९१७-९३० (B) अनुपचरित सद्भूत व्यवहारनय (II) असद्भूत व्यवहारनय ७७७ व्यवहारनय (B) संश्लेषित असद्भूत व्यवहारनय नय (आपादन प्रकार ) (१) अकर्तृनय (२) अगुणिनय (३) अतीतभाव प्रज्ञापक नय (४) अनर्पितनय (५) अनागतभाव प्रज्ञापक नय (६) अपवादनय (७) अभोक्तृनय (८) अर्थनय (९) अर्पितनय (१०) अशुद्धनय ९१७, १९७९, २०११, २२१३ ९१९-९२० २००५-२००९, २०११-२०१५, २०२६, २०२८ - २०३०, २०३३, २०५२ २०५८, २०७७, २०९३,२१९४ (A) असंश्लेषित असद्भूत ९२१-९२३ ९२५-९२९, ९२५-९२७ ९२८- ९२९ ९५१ ९५१ ९४९-९५० ९४२-९४६, ९४९ ९५० ९५१ ९५१ ९४६ ९४२-९४६,९४९ ९४७-९४८
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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