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110 . 'द्रव्य-गु-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायाम विदा होना याही . काल (स्वतंत्र कालद्रव्य पक्ष) देखिए द्रव्य (षट्क) | केवल लक्षण देखिए लक्षण (सामान्यतः) (३) काल (I) काल श्वेतांबरपक्ष | केवल व्यतिरेकी
१२१२-१२१३ कालत्रयस्पर्श
७४१-७४३,७४७-७४९ / केवलान्वयित्व लक्षण देखिए लक्षण कालद्रव्यवाद देखिए वाद
केवली कालनिक्षेप देखिए निक्षेप
(१) श्रुतकेवली
२२८०-८२ कालपर्यायवाद देखिए वाद
(२) सर्वज्ञकेवली
२२८०-८२ काल प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना | कैयटमत समीक्षा देखिए समीक्षा कालभेद
देखिए भेद (प्रकार) कैलाशचन्द्रमत समीक्षा देखिए समीक्षा काललिंग
१५००-१५०१/ कोटि नय देखिए नय (विस्तार) कालशुद्धि देखिए शुद्धि क्रम अनेकान्त देखिए अनेकान्त कालसूक्ष्मता
७४१-७४६ | क्रमभाविपर्याय देखिए पर्याय (श्वेताम्बर) कालस्थूलता
७४१-७४२,७४९ / क्रमिक वृत्तिप्रवृत्ति देखिए वृत्तिप्रवृत्ति कालाणु (दिगंबर पक्ष) देखिए अणु क्रमिकोपयोगद्वयवाद देखिए वाद कालाणु (श्वेतांबर पक्ष) देखिए अणु क्रियमाणता कालादिअष्टक
५३६-५४१ | क्रिया नय देखिए नय (आपादन प्रकार) कालान्वय देखिए अन्वय (अर्थगत) | क्रिया मार्ग
२३७७ किल्बिषिक भावना
२३०५ | क्रिया योग देखिए योग (अवशिष्ट) कुंदकुंदस्वामिमत समीक्षा देखिए समीक्षा | क्रियावंचक देखिए योग (योगदृष्टिसमुच्चय) कुलयोगी देखिए योगी |क्रियावादी कुशलानुबंध देखिए अनुबंध | क्रियाशुद्धि देखिए शुद्धि कुशलानुबंध विच्छेद
२५१३ | क्रियासापेक्ष एकत्व देखिए एकत्व कुशील देखिए वर्ण्य साधु क्षणिकद्रव्यवाद
देखिए वाद कुशीलता देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) |क्षपकश्रेणि देखिए श्रेणि कृतक (कृत्रिम)
६८७-६८८|क्षमा कृतत्व-अकृतत्व अनेकांत देखिए अनेकांत । (१) अपकारी क्षमा कृतनाश देखिए दोष (दूषण) (२) उपकारी क्षमा
२४८७ देखिए धर्म
(३) धर्म क्षमा (स्वभाव क्षमा) २४७२-७३, कृष्ण लेश्या देखिए लेश्या
२४८७ केवल अन्वयी १२१२-१२१५ (४) वचन क्षमा
२४४०,२४८७ केवलज्ञान देखिए ज्ञान
(५) विपाक क्षमा
२४८७ (+ उपयोग + बोध) |क्षयोपशम लब्धि देखिए लब्धि केवलज्ञान प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना
___ (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) केवलज्ञानभेद देखिए भेद (प्रकार) क्षायिक भाव देखिए भाव
२४८७
कृष्ण धर्म