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108 • 'द्रव्य-गु९-५यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२मश' व्यायाम विदा पर्थोनी याही . एकत्वहानि देखिए दोष (दूषण) । (२) धर्मकथा (धर्मदेशना) २५३३-२५७९ एकदेश अन्वयबोध देखिए अन्वयबोध कदाग्रह देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) एकप्रदेश स्वभाव देखिए स्वभाव | कपट (माया) देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी)
(१) विशेष स्वभाव कफौषधि लब्धि देखिए लब्धि (योगफल) एक स्वभाव देखिए स्वभाव
करण
(२) सामान्य स्वभाव | (१) अनिवृत्तिकरण ६६,२२७३,२४२६ एकाग्र चित्त देखिए चित्त
(२) अपूर्वकरण
६६,२४२५ एकान्त अनित्यता देखिए अनित्यता
(३) यथाप्रवृत्तकरण एकान्त नित्यता देखिए नित्यता
(I) चरम यथाप्रवृत्तकरण २२८९,२४२१, एकान्तवादिमत समीक्षा (सामान्यतः) देखिए
२४२४ समीक्षा |
(II) नैश्चयिक चरम यथाप्रवृत्तकरण २४२५ एवंभूतनय देखिए नय (आपादन प्रकार)
(III) अनाभोगकरण एवंभूतनय देखिए नय (नवविध)
(IV) अधःप्रवृत्तिकरण एवंभूतनय लक्षण देखिए लक्षण
करण लक्षण देखिए लक्षण एवकार अर्थ
११५४|करणलब्धि देखिए लब्धि (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) ऐकत्विक नाश देखिए नाश (सम्मतिकारसम्मत)
|करणस्वरूप (२) वैस्रसिक नाश |
नाश कर्तृत्वशक्ति देखिए ... शक्ति (अर्थगत) ऐकत्विक वैनसिक उत्पाद देखिए उत्पाद |
_ | कर्तृत्व-भोक्तृत्वपरिणति देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी)
(२) वैनसिक ऐदम्पर्य शुद्धि
| कर्तृ नय देखिए नय (आपादन प्रकार) देखिए शुद्धि
कर्म ओघ दृष्टि देखिए दृष्टि ओघ शक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत)
(१) अनिकाचित कर्म (सोपक्रम कर्म) २४६२ ओघ संज्ञा देखिए संज्ञा
(२) निकाचित कर्म
२४८३-८४ औत्सर्गिक मार्ग देखिए मोक्षमार्ग
(३) द्रव्य कर्म
२४८५ औदयिक धारा देखिए धारा
(४) भावकर्म
२४८५ औदयिक भाव देखिए । भाव
| कर्मअधिकारनिवृत्ति
२४०५ औदासीन्य (उपेक्षा) २४४७,२४५५,२४६२-६३. | कर्मजनित उपचरित स्वभाव देखिए स्वभाव २४९७,२५३८-३९
(१) विशेष स्वभाव (X) उपचरित स्वभाव औपचारिक भेद देखिए भेद (प्रकार) कर्मबंध-अबंध अनेकांत देखिए अनेकांत कथंचित्परिणामित्व लक्षण देखिए लक्षण
कर्माधीन दशा देखिए दशा कथा
कर्माश्रव देखिए आश्रव (१) अकथा (कथा आभास) २५३३ | कर्मोदयधारा देखिए धारा
२५३०