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________________ • પ્રારંભિક પરિશિષ્ટ છે सक्षेप-विस्तराभ्याम, ये द्रव्य-गुण-पर्यायरासगताः । कर्णिकागताश्चार्थाः, तत्सूचिर्दीतेऽत्र मुदा ।। (आच्छिन्दः) (द्रव्य-गु-५यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायामां agfdu पार्थोनी याही) २०० नय देखिए नय (विस्तार) अकृतआगम- देखिए दोष (दूषण) ४०० नय देखिए नय (विस्तार) | अक्रम अनेकान्त देखिए अनेकान्त ५०० नय देखिए नय (विस्तार) अक्रिया मिथ्यात्व देखिए मिथ्यात्व ६०० नय देखिए नय (विस्तार) अगीतार्थ देखिए वर्ण्य साधु ७०० नय देखिए नय (विस्तार) |अगुणि नय देखिए नय अंग-अंगिभाव संबंध देखिए संबंध (आपादन प्रकार) अंतरंग पुरुषार्थ देखिए ६५, ८४९, १४७९, १६२६ग्रन्थिभेद पुरुषार्थ | अगुरुलघुत्व अंतरंग लक्षण देखिए लक्षण १६२८, २२३८ (+ देखिए अंतरात्मा देखिए आत्मा गुणप्रकार - (२) सामान्यगुण अंत्यअवयवी + अवशिष्ट सा.गु.) २७१-२७२,२७६ | अगुरुलघुशक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत) अंत्य कारण देखिए कारण देखिए विशेष अचरम विशेष अंत्य विशेष देखिए विशेष अचरमावर्त काल देखिए काल अंधकार द्रव्य १३६० (आध्यात्मिक) अंश अचेतनता देखिए गुण प्रकार (I) द्रव्यअंश १४०९ (१) विशेष गुण (I) भावअंश १४०९ +(२) सामान्य गुण अंश-अंशिभाव संबंध देखिए संबंध | अचेतन स्वभाव देखिए स्वभाव (१) अंश नैगम (द्विविध) देखिए नय (नवविध) विशेष स्वभाव नैगम (देवचंद्रजी) देखिए वृत्ति अकथा देखिए कथा (वैयाकरणसम्मत) (१) लक्षणा अकरणनियम २२७१-२२७२,२५४२ | अजहद् लक्षणा देखिए लक्षणा अकर्तृ नय देखिए नय (सामान्यतः) (आपादन प्रकार) | अजीवपरिणाम देखिए परिणाम अकलंकस्वामीमत समीक्षा देखिए समीक्षा | | अजीवपरिणामभेद देखिए भेद (प्रकार) अकल्पक २४६६] अजीवपर्याय देखिए पर्याय अकुशलानुबंध देखिए अनुबंध (भगवतीसूत्र) 1. १, २, ३.... अं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अ: तथा कं, क, का, कि, की, कु, कू, कृ, कृ, के, के, को, कौ, कः, क्, क्क, क्का, क्ख, क्वा..., म. मी. पर्थो विद छे. अजहत्व लक्षणा
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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