________________ 148 Spiritual Enlightenment 352) जं तत्तं णाण-रूवं परम मुणि-गणा णिच सायंति चित्ते जं तत्तं देह-चत्तं णिवसइ भुवणे सव्व-देहीण देहे / जं तत्तं दिव्य-देहं तिहुवण-गुरुगं सिझए संत-जीवे तं तत्तं जस्स सुद्धं फुरइ णिय-मणे पावए सो हि सिद्धिं // 213 / / 353) परम-पय-गयाणं भासओ दिव्य-काओ मणसि मुणिवराणं मुक्खदो दिल-जोओ। विसय-सुहरयाणं दुल्लहो जो हु लोए जयउ सिक्-सरुवो केवलो को वि बोहो // 214 // -(0)