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[ ८५ ] विश्मसंखलोग समा ॥ अज्झवसाया ाहिया, सत्तसु खासु असंखगुणा ॥ ५५ ॥ तिरिनिरयतिजोयाएं, नरजवजुअ सचउपल्ल तेसहं ॥ या• वरच उइग विगला - यवेसु पणसी इसयमयरा |२६| पढमसंघयणा गिइ, खगईछाए मिच्छ दुजगथी - पतिगं ॥ निानपुइत्थि दुतीसं, पणिदिसु - बंधविश् परमा ॥ ५७ ॥ विजयाइस गेविज्जे, तमाइ दहिसय दुतीस तेसहं ॥ पणसीइ सययबंधो, पल्लतिगं सुरविजव्विदुगे ॥ ५८ ॥ समयादसंखकालं, तिरिदुगनी एसु आज अंतमुहू ॥ जरोल असंखपरट्टा, सायडिईपुत्रको रूणा ॥ ५९ ॥ ज• लदिसयं, पणसी परघुस्सा से पणिदितसच गे ॥ बत्तीसं सुहविहगर, पुमसुजगतिगुच्चचजरंसे ॥ ६० ॥ असुहखगइजाइया गिइ- संघयणाहारनिरयुजोयद्गं ॥ धिरसुनजसथावरदस-नपुइ. त्थीदुजुअलमसायं ॥ ६१ ॥ समया दंतमुडुतं, मणुदुग जिणवइरजर लुवंगेसु ॥ तित्तीसयरा परमो, अंतमुहू लहु वि आऊ जिणे ॥ ६२ ॥ तिब्वो