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खंडे जरहे, दो हिमवंते श्र हेमवश् चउरो॥ अट्ठ महा हिमवंते, सोलस खंडाई () हरि. वासे॥५॥ बत्तीसं पुण निसढे, मिलिया तेसहि बीयपासेऽवि ॥ चउसठ्ठी विदेहे, तिरासि पिंडेनुं () नउयसयं ॥५॥ जोयणपरिमाणाई, समचरंसाई इत्थ खमाइं॥ लख्खस्स य परिहीए, तप्पायगुणे य हुँतेव॥६॥विख्खनवग्गदहगुण-करणी वट्टस्स परिरो हो॥ विख्खं. भपायगुणिओ, परिरओतस्स गणियपयं ॥७॥ परिही तिलख्ख-सोलस-सहस्स दो य सय सत्तवीसहिया ॥ कोसतिगंअट्ठा वीसं, धणुः सय तेरंगुलद्धहियं ॥७॥ सत्तेव य कोमिसया, पउआ छपन्नसयसहस्साई ॥ चउण उयं च सहस्सा, सयं दिवढं च साहीयं ॥ ए ॥ गाउअ मेगं पनरस-धणुसया तह धणूणि पन. रस ॥ सर्डिं च अंगुलाई, जंबुद्दीवस्स गणियपयं ॥ १० ॥ नरहाई सत्त वासा, वियत चउ चउर. तिस वट्टियरे ॥ सोलस वख्खारगिरी दो चित्त