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[२२] बाज, नर तिरि सुरनिरय सागर तितीसा॥वंतर पद्धं जोइस, वरिस लख्खादिरं पलियं ॥२५॥ असुराण अहिय अयरं, देसूणऽपवयं नव निकाए॥ बारसवासुणपणदिण, छम्मास उकिठ विगलाऊ ॥ २६॥ पुढवाइ दस पयाणं, अंतमुहत्तं जहन्न थानविई॥ दससहस वरिसविइआ जवणाहिवानरयवंतरिया ॥ २७ ॥ वेमाणिय जोशसिया, पवतयउंस आउया हुँ।त॥सुर नर तिरि निरएसु, छ पजत्तो थावरे चउगं ॥श्न॥ विगले पंच पजत्ती, छदिसियाहार होइ सव्वेसिं ॥ पणगाइपए नयणा, अह सन्निातयं भणिरसामि ॥ ॥ चउविदसुरतिरिएसु, निरएसु य दोहकालिगी सएणा ॥ विगले हेउवएसा, सन्नारहिया थिरा सवे ॥३०॥मणुयाण दीहकालिय, दिवायोवए।सथा केवि॥पज पण तिरि मणुअच्चिय, चउविहदेवेसुगच्छति ॥३१॥ संखाउ पज पणिदि, तिरियनरेसु तहेव पजत्ते ॥ जूदगपत्तेयवणे, एएसु च्चिय सुरागमणं ॥३॥