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________________ [२०४] सिया हु सौंहो कुविखो न जक्खे; सिया नजिंदेज्जव सत्तिअग्गं, नयावि मोक्खो, गुरुहीला || || आयरिय पाया पुणे अप्पसन्ना, अबो दियासायण नविमोक्खा, तम्हा अणावाद सुहानिकंखी, गुरुप्प साया निमुहो रमेजा || १० || जहा हियग्गी जलणं नमसे, ना. |हु मंतपया भित्तिं, एवायरियं जवचिव एजा अपंतनाणो वगर्जवितो ॥ ११ ॥ जस्संतिए धम्मपयाई सिखे, तस्संऽतिए विणश्यं पउंजे, सक्कारए सिरसा पंजली खो, कायगि राजो म साय निच्चं ॥ १२ ॥ लज्जा दया संजम बंभच्चेरं, कल्ला भागीस्स विसोही गणं, जे मे गुरु सययं अणुसासयंति, तेहं गुरु सययं पूययामि || १३ | जहा निसंते तव निच्चमाली, पनासर केवल जारहंतु, एवायरि सुय सील बुद्धिए, विराय मुरमज्जेव दो ॥ १४ ॥ जहा ससी कोमुइ जोग जुत्तो, नक्खत्त तारागण परिवुडऽप्पा, खे सोह बिमले अब्जमुक्के, एवं गणी सोहर निक्खुि मज्झे
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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