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[ ] विहा ॥ गो सप्प नल पमुहा, बोधवा ते समा. सेणं ॥१॥ खयरा रोमयपक्खी, चम्मयपक्खी य पायडा चेव ॥ नरसोगायो बाहिं, समुग्गपक्खी विययपक्खी ॥२॥ सवे जल थल खयरा, त. मुच्छिमा गब्भया उदा हुँति ॥ कम्मा कम्मग नूमि, अंतरदीवा मणुस्ता य ॥२३॥ दसहा न. वणाहिवई, अट्टविहा वाणमंतरा हुँति॥ जोरपंचविहा, विहा वेमाणिया देवा ॥४॥ सिद्धा पनरस नेया, तित्थातियाइसिद्धन्नेएणं ॥ एए संखेवेणं, जीवविगप्पा समक्खाया॥॥ एएसिं जीवाणं, सरीर माउ विईसकायम्मि ॥ पाणा जोणिपमाणं, जेसिं जं अत्थि तं भणिमो ॥२६॥ अंगुलअसंख नागा, सेरीरमेगिंदियाण सवेसि ॥ जोयणसहस्स महियं, नवरं पत्तेयरुख्खाणं ॥७॥ बारस जोयण तिन्नेव, गाउआ जोयणं च अणुकमसो ॥ बेदिय तेऽदिय, चरिदिय देहमुच्चत्तं ॥श्न॥ धणुसयपंचपमाणा, नेरश्या सत्तमा पुढवीए॥ तत्तो अडकूणा, नेया रयणप्पाहा जाव