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________________ [११] १२ ॥ नोग निरीह रे || ॥ ११ ॥ जो कण कंचन कामिनी, इच्छता अने जोगवता रे ॥ त्यागी न कदियें तेहनें, जो मनमें श्री जोगवता रे ॥ शी० ॥ संयोग भला लहि, परदरे जे त्यागी तेज भांखियो, तस पद नमुं निशदीद रे ॥ शी० ॥ १३ ॥ एम उपदेशने अंकुरों, मयगल परें मुनिराजो रे ॥ संयम मारग स्थिर कर्यो, सार्थ वंछित काजो रे || शो ||१४|| ए बीजा अध्ययनमां, गुरु हित शीख पयासें रे ॥ लाभविजय कविरायनो, वृद्धिविजय एम जासे रे ॥ ॥ शी० ॥ १५ ॥ इति ॥ ॥ अथ तृतीयाध्ययनसझाय प्रारंभ || ॥ पंच महाव्रत पालीयें ॥ ए देशी ॥ आधाकर्मी आहार न लीजियें, निशिनोजन नवि करीयें || राजपिंडने सज्ञातरनो, पिंड वली परहरिये के ॥ १ ॥ मुनिवर ए मारग अनुसरियें ॥ जिम भवजलनिधि तरीयें ॥ मुनि० ॥ ए० ॥
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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