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________________ विषय । (३७) पृष्ठ । श्लोक। हिंस्य हिंसक हिंसा और हिंसाका फल २४६ २१ आहिंसाणुव्रतके निर्मल रखनेकी विधि २४७ २२ अहिंसाणुव्रत पालन करना कठिन है इस शंकाका निराकरण २४९ २३ रात्रिभोजन त्यागकर आहिंसाका पालन २५० २४ रात्रिभोजनके दोष और करनेवालोंको तिरस्कार २५१ २५ उदाहरण देकर रात्रिभोजनके दोषका महान्पना २५३ २६ लौकिक कार्योंको दिखाकर रात्रिभोजनका निषेध २५५ २७ दिनरातके भोजनसे मनुष्योंकी उत्तम मध्यम जघन्यता २५५ २८ रात्रिभोजनत्यागका प्रत्यक्ष विशेषफल २५६ २९ भोजनके अंतरायोंके त्याग करनेकी आवश्यकता २५७ ३० अंतरायोंके नाम स्वरूप आदि २५७ ३१-३३|| मौनव्रत २५९ ३४ हेतुपूर्वक मौनव्रतका फल २६० ३५-३६| यमनियमरूप मौनव्रतका उद्यापन २६२ ३७ किस समय मौन धारण करना और उसका फल २६३ ३८ सत्याणुव्रतकी रक्षा करनेका उपाय २६४ ३९ लोकव्यवहारके अनुसार कौनसा वाक्य बोलना और कौनसा नहीं २६६ ४० सत्यसत्यका स्वरूप असत्यसत्य और सत्यासत्यका स्वरूप असत्यासत्यका स्वरूप २६९ ४३ भोगोपभोगमें आनेवाले झुठके सिवाय सदलपन आदि पांचों तरहके झूठके त्यागका उपदेश २७० ४४ २६७ २६७
SR No.022362
Book TitleSagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pandit, Lalaram Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1915
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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